आस्ट्रेलिया मानहानि मामलों में फेसबुक को भी दायरे में लाने पर करेगा विचार
आस्ट्रेलिया के संचार मंत्री पाल फेचर ने कहा कि कि देश के कानून के तहत यह स्पष्ट नहीं है कि मानहानि के दायरे में इंटरनेट मीडिया फेसबुक को लाया जा सकता है या नहीं। पूरा मामला पढ़ें नीचे।
कैनबरा, एपी। आस्ट्रेलिया के संचार मंत्री पाल फेचर ने कहा कि वह आस्ट्रेलियाई कानून की समीक्षा इस आधार पर करेंगे कि यूजर्स की पोस्ट को लेकर मानहानि का मुकदमा करने का अधिकार तीसरे पक्ष पर बनना चाहिए।
पिछले महीने आस्ट्रेलिया के हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि मीडिया कंपनियां एक प्रकाशक हैं। इसलिए फेसबुक के आधिकारिक पेजों पर तीसरे पक्ष की आपत्तिजनक टिप्पणी पर कंपनी पर मुकदमा हो सकता है। फेचर ने कहा कि देश के कानून के तहत यह स्पष्ट नहीं है कि मानहानि के दायरे में इंटरनेट मीडिया फेसबुक को लाया जा सकता है या नहीं। फेचर ने कहा कि मौजूदा आस्ट्रेलियाई मानहानि कानून की समीक्षा का कारण यही है कि इससे यह साफ नहीं होता कि फेसबुक को खुद भी इस कानून के दायरे में लाया जा सकता है या नहीं।
न्यू साउथ वेल्स राज्य के अटर्नी जनरल मार्क स्पीकमैन इस मकसद से आस्ट्रेलियाई और विभिन्न राज्यों के कानूनों की समीक्षा इस आधार पर कर रहे हैं कि पूरे देश में इंटरनेट मीडिया को लेकर एक कानून लागू किया जा सके।
जानें पूरा मामला
पिछले महीने आस्ट्रेलिया की शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि मीडिया कंपनियां उनके आधिकारिक फेसबुक पेज पर तीसरे पक्षों द्वारा लिखी गई टिप्पणियों के लिए जिम्मेदार हैं। हाई कोर्ट ने इस बारे में आस्ट्रेलिया के कुछ बड़ी मीडिया कंपनियों फेयरफैक्स मीडिया पब्लिकेशंस, नेशनवाइड न्यूज व आस्ट्रेलियन न्यूज चैनल की दलीलों को खारिज करते हुए कहा था कि वे टिप्पणियों की प्रकाशक हैं।
अदालत ने मीडिया कंपनियों के खिलाफ 5-2 से फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्होंने इन टिप्पणियों को प्रोत्साहन दिया और वे पूरी बातचीत में शामिल रहीं। इस फैसले के बाद पूर्व में हिरासत में लिया गया याचिकाकर्ता नाबालिग मीडिया संगठनों के खिलाफ अवमानना का मामला चला सकता है।
नाबालिग डायलन वोलर (Dylan Voller) ने द सिडनी मार्निग हेरल्ड, द आस्ट्रेलियन, सेंट्रेलियन एडवोकेट, स्काई न्यूज आस्ट्रेलिया व द बोल्ट रिपोर्ट जैसे टेलीविजन प्रसारकों तथा समाचार पत्रों के फेसबुक पेजों पर टिप्पणियों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की अपील की थी।
दरअसल वर्ष 2016 में एक किशोर डायलन वोलर के साथ हिरासत में हुए बुरे बर्ताव को एक टीवी रिपोर्ट में दिखाया गया था। जंजीरों में बंधे युवक और उस पर थूके जाने जैसी तस्वीरें खबरों में दिखाई गई थीं। इसके बाद देश में काफी हंगामा हुआ था। चार साल बाद जहां मीडिया कंपनियों की ओर से तर्क दिया गया था कि वे सोशल मीडिया पर आई टिप्पणियों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि पाठकों द्वारा लिखी गई सामग्री की प्रकाशक कंपनियां नहीं हैं। मीडिया कंपनियों ने कहा कि प्रकाशन से पहले कंटेंट को देखना जरूरी होता है।