म्यांमार की काउंसलर सू की से वापस लिया एक और मानवाधिकार पुरस्कार
रिलीज में कहा गया है कि पिछले नवंबर में, संग्रहालय ने मानवता के खिलाफ अपराधों पर एक गहन शोध किया था।
वाशिंगटन, आइएएनएस। म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों पर हुई हिंसा को लेकर आंग सान सू की से एक और पुरस्कार छिन गया। अमेरिका के होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम ने बुधवार को उनसे 'एली वीजल अवार्ड' वापस ले लिया।
नोबेल विजेता सू की को 2012 में यह पुरस्कार दिया गया था। म्यूजियम की निदेशक सारा ब्लूमफील्ड ने सू की को पत्र लिखकर फैसले से अवगत कराया। सारा का कहना है, 'हमें उम्मीद थी, मानवाधिकार के लिए लड़ने वाली नेता हिंसा को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएंगी। इसके विपरीत उनकी पार्टी ने संयुक्त राष्ट्र का सहयोग करने से मना किया। साथ ही पत्रकारों को भी रखाइन में हो रहे अपराधों को उजागर करने से रोक दिया।'
म्यांमार में हुई हिंसा के खिलाफ आवाज ना उठाने के लिए दुनिया भर में उनकी आलोचना की गई। उनसे 'फ्रीडम ऑफ द सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड अवार्ड' भी वापस ले लिया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में लगी उनकी तस्वीर भी हटा दी गई। मालूम हो कि पिछले साल अगस्त में रोहिंग्या उग्रवादियों ने रखाइन में कई पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया था। इसके बाद सेना की जवाबी कार्रवाई पर करीब सात लाख रोहिंग्या को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी।
बताया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय रोहिंग्या के खिलाफ देश में सैनिकों द्वारा किये जा रहे अत्याचार के बाद लगभग 7 लाख रोहिंग्या देश से भाग गए थे। रिलीज में कहा गया है कि पिछले नवंबर में, संग्रहालय ने मानवता के खिलाफ अपराधों पर एक गहन शोध किया था। जिसके आधार पर अक्टूबर 2016 में म्यांमार सैनिकों के द्वारा रोहिंग्या नागरिकों पर जतीय जुल्म और नरसंहार की बातें सामने आई।
कहा कि सेना के क्रूर अभियान की निंदा करने और इस पर रोक लगाने के बजाय, एनएलडी ने संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया, साथ ही रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ नफरत पैदा कर रखाईन राज्य में अपराधों पर स्टोरी कवर कर रहे पत्रकारों पर भी हमला करवाया।
संग्रहालय के द्वारा जारी बयान में कड़े शब्दों में कहा गया कि, "संग्रहालय जनसंहार और क्रूरता के पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़ा है। एली विज़ेल ने कहा कि" तटस्थता उत्पीड़क की मदद करती है, पीड़ित की नहीं। चुप्पी उग्रता को प्रोत्साहित करती है।