Indian Ocean Conference 2021: राम माधव ने इंडो-पेसिफिक के महत्त्व पर डाला प्रकाश
अबू धाबी में आयोजित पांचवा हिंद महासागर (IOC) ग्लोबल पावर एक्सिस और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में इंडो पेसिफिक के महत्व पर केंद्रित है जिसमें देश-विदेश के मंत्रीगण शामिल हुए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंडिया फाउंडेशन के राम माधव ने ग्लोबल पावर एक्सिस के बदलाव कि बात कही।
अबू धाबी, एएनआइ। अबू धाबी में आयोजित पांचवा हिंद महासागर (IOC) ग्लोबल पावर एक्सिस और अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में इंडो पेसिफिक के महत्व पर केंद्रित है, जिसमें देश विदेश के मंत्रीगण शामिल हुए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए इंडिया फाउंडेशन के राम माधव ने ग्लोबल पावर एक्सिस में बदलाव पर ध्यान केंद्रित करने कहा और साथ ही इंडो-पेसिफिक के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला।
क्या कहा राम माधव ने
भारत की ओर से हिंद महासागर सम्मेलन में इंडिया फाउंडेशन के राम माधव ने कहा, 'इस महासागर के माध्यम से दुनिया 70 फीसद कंटेनर और 50 फीसद उर्जा लाइने गुजरती हैं और हिंद महासागर 21वीं सदी में वैश्विक शक्ति अक्ष (ग्लोबल पावर एक्सेस) का केंद्र है'
इस वर्ष IOC सम्मेलन का विषय
इस वर्ष के IOC सम्मेलन का विषय परिस्थितिकी अर्थव्यवस्था और कोविड-19 महामारी पर केंद्रित है। आपको बता दें कि इस बार IOC सम्मेलन का आयोजन आरएसआईएस सिंगापुर, राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन, श्रीलंका और अमीरात सामरिक अध्ययन और अनुसंधान केंद्र संयुक्त, अरब अमीरात के सहयोग से इंडिया फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है।
इससे पहले क्या कहा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने
पांचवे हिंद महासागर (IOC) में मुख्य भाषण देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'कोरोना वायरस की महामारी के कारण हम सभी थोड़े अंतराल के बाद मिल रहे हैं इस अवधि में कई विकास हुए हैं' वहीं इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्षेत्र में अमेरिकी नीति पर बात की और कहा, '2008 में हमने अमेरिकी शक्ति परीक्षण में अधिक सावधानी देखी और इसके अति विस्तार को ठीक करने का प्रयास किया गया।'
बीते शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिंद महासागर क्षेत्र को प्रभावित करने वाले हालिया रुझानों के बारे में भी बात की, इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी रणनीतिक मुद्राओं की बदलती प्रकृति कभी जिक्र किया।
सम्मेलन में शामिल देश
पांचवा हिंद महासागर (IOC) सम्मेलन में वैश्विक प्रणाली में शक्ति समानता को भी संबोधित किया और इसमें लगभग 200 प्रतिनिधि और 30 देशों के 50 से अधिक वक्ता मौजूद रहे। जिसमें समुद्र के बढ़ते स्तर, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्र में तटीय राज्यों से संबंधित मुद्दों बड़ी चर्चा हुई।