अफगानिस्तान में सियासी भूचाल: धमाकों के बीच दो लोगों ने ली राष्ट्रपति पद की शपथ
अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार के मुखिया के तौर पर अशरफ गनी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी समानांतर सरकार गठित कर डाली।
काबुल, एएफपी। अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सत्ता के लिए सोमवार का दिन बहुत बुरा रहा। चुनी हुई सरकार के मुखिया के तौर पर अशरफ गनी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी समानांतर सरकार गठित कर डाली। गनी के शपथ ग्रहण समारोह के नजदीक दो धमाके हुए, भगदड़ मची लेकिन किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है। राष्ट्रपति गनी ने अपना भाषण जारी रखते हुए कहा, अगर उनके बलिदान से अफगानिस्तान में शांति आ सकती है तो वह उसके लिए भी तैयार हैं। तालिबान ने दो सरकारों के गठन के चलते प्रस्तावित शांति वार्ता में बाधा आने की आशंका जताई है।
गनी ने कहा, बलिदान से आ सकती है शांति तो वह तैयार
सोमवार को अफगानिस्तान की परंपरागत पोशाक में पगड़ी बांधे अशरफ गनी दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के लिए समारोह में पहुंचे। राष्ट्रपति महल में आयोजित समारोह में उनके सैकड़ों समर्थक, सरकारी अधिकारी, राजनीतिक लोग, विदेशी राजनयिक, विदेशी मेहमान और अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत जल्मे खलीलजाद मौजूद थे। समारोह में गनी ने जैसे ही शपथ ली, उसके कुछ ही मिनट बाद नजदीक ही दो तेज धमाके हुए। समारोह में मौजूद लोग भागने लगे।
माइक संभाले गनी ने कहा, बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं पहने हूं, सिर्फ शर्ट मेरे जिस्म पर है। यहां से हटूंगा नहीं, जरूरत पड़ने पर अपना सिर कलम करवा लूंगा। गनी का हौसला देख भागते हुए लोगों के कदम थम गए, कुछ लोग वापस आकर कुर्सियों पर बैठे। इस बीच गनी के अंगरक्षकों ने उन्हें घेर लिया और वे भी लोगों का बैठने का इशारा करने लगे। इससे कुछ ही मिनट पहले राष्ट्रपति महल के एक अन्य हिस्से में सूट पहने अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उन्होंने आजादी की रक्षा, राष्ट्र की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का नारा दिया।
आखिरी मौके तक हुई समानांतरण शपथ ग्रहण समारोह टलवाने की कोशिश
इससे पहले अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के कई प्रमुख देशों के नेता आखिरी मौके तक समानांतरण शपथ ग्रहण समारोह टलवाने की कोशिश में लगे रहे। अमेरिका ने यहां तक चेतावनी दी कि वह तालिबान के साथ हुआ अपना समझौता तोड़ लेगा लेकिन बात नहीं बनी। आशंका है कि देश के राजनीतिक नेतृत्व में फूट का तालिबान फायदा उठा सकता है और उसका कट्टरपंथी तबका सत्ता में साझीदारी का बड़ा फायदा ले सकता है। लोगों का मानना है कि यह समय निजी हितों को देखने का नहीं है बल्कि राष्ट्रीय हित के लिए काम करने का है।
फरवरी महीने में की गई थी अशरफ गनी के जीत की घोषणा
सितंबर 2019 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के मतों की गिनती पूरी होने के बाद बीते फरवरी महीने में अफगानिस्तान के चुनाव आयोग ने अशरफ गनी की जीत की घोषणा की थी, लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने दावा किया था कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में उनका गठबंधन चुनाव में जीता है, इसलिए वह सरकार बनाएंगे। गनी के प्रवक्ता सिदीक सिद्दीकी ने कहा है कि चुनाव आयोग के घोषित चुनाव परिणामों के अनुसार अशरफ गनी को ही जीत हासिल हुई है और वह देश के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
अफगानिस्तान में अशरफ गनी और अब्दुल्ला अब्दुल्ला पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं। पिछली सरकार में राष्ट्रपति गनी के साथ अब्दुल्ला को मुख्य कार्यकारी बनाकर सत्ता में साझीदार बनाया गया था। अब्दुल्ला पूर्व में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन चुनाव के बाद फिर से दोनों के हितों में टकराव शुरू हो गया है।
वैसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साफ कर चुके हैं कि किसी का भी हाथ पकड़कर उसे साथ चलाने की एक समयसीमा होती है। उनका इशारा अफगानिस्तान की ओर था। ट्रंप चाहते हैं कि अफगानिस्तान अब अपनी समस्याओं का निस्तारण खुद करे।