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आर्मीनिया-अजरबैजान: युद्ध भड़काने में पुराने वीडियो और फर्जी सूचनाओं ने किया आग में घी का काम

इस युद्ध में 750 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं। आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल ने कहा है कि मौजूदा स्तर पर काराबाख के मुद्दे का कोई कूटनीतिक हल नहीं है। नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान का इलाका तो है लेकिन फिलहाल ये आर्मीनिया के कब्जे में है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 06:13 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 11:48 AM (IST)
आर्मीनिया-अजरबैजान: युद्ध भड़काने में पुराने वीडियो और फर्जी सूचनाओं ने किया आग में घी का काम
आर्मीनिया और अजरबैजान के युद्ध के दौरान कई फर्जी वीडियो भी शेयर किए गए। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच हुए युद्ध के दौरान एक बात ये भी देखने को मिली कि यहां सोशल मीडिया का भी गलत इस्तेमाल किया गया। सोशल प्लेटफॉर्म पर युद्ध की पुरानी तस्वीरें और अन्य चीजें शेयर करके युद्ध को भड़काने का काम किया गया।

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बीते सप्ताह के अंत में दोनों देशों के बीच दूसरी बार युद्धविराम पर सहमति बनी है, अब इसके बाद सैनिकों की लाशें लेने-देने और अन्य चीजों को सहेजने का काम किया जा रहा है। इस युद्ध में 750 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं। इस बीच आर्मीनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने कहा है कि मौजूदा स्तर पर काराबाख के मुद्दे का कोई कूटनीतिक हल नहीं है। फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना जाता है कि नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान का इलाका तो है लेकिन फिलहाल ये आर्मीनिया के कब्जे में है। 

पुराने वीडियो और फर्जी सूचनाएं की गई वायरल 

इन दोनों देशों के बीच हुए युद्ध के दौरान ये देखने में आया कि ऐसे में पुराने लड़ाई के वीडियो और फर्जी सूचनाएं बड़े पैमाने पर वायरल की गई जिससे युद्ध भड़कता रहा। युद्ध के कई पुराने वीडियो को एडिट किया गया और उनको शेयर भी किया गया। दावा ये किया गया कि ये दोनों देशों के बीच संघर्ष की ताजा तस्वीरें हैं। एक बात ये भी कही गई कि इस तरह के संघर्ष के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रामक जानकारियां वायरल की जाती है, ऐसी चीजों को रोक पाने या इनको जांचने का कोई पुख्ता पैमाना नहीं है।

एडिट करके वायरल किए गए मिसाइल के फर्जी वीडियो 

ये देखने में आया कि ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई तरह के पुराने वीडियो भी शेयर किए गए, इन वीडियो को एडिट किया गया था और इनको हमला करने वाला बताया गया था। जब किसी एक व्यक्ति के पास ऐसा वीडियो पहुंचा तो उसे वायरल होने में समय नहीं लगा। चंद मिनटों में ऐेसे वीडियो हजारों लोगों के पास पहुंच गए। इसमें जो वीडियोज सबसे अधिक बार शेयर किए गए हैं उनमें मिसाइल दागे जाने वाले वो वीडियोज हैं जिनका इस युद्ध से कोई लेना देना तक नहीं था।

ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया गया है कि ईरान की सीमा से लोग 2020 का अर्मीनिया-अजरबैजान युद्ध देख रहे हैं, अकेले इस वीडियो जो ढाई लाख बार देखा गया। जबकि इसका फैक्ट चेक किए जाने पर पाया गया कि यह वीडियो साल 2019 में रूस में आयोजित किए गए सेना दिवस का है। इसके अलावा कई और भी ऐसे वीडियो शेयर किए गए।

जापान के फिक्शन वीडियो को अजरबैजान का बता पोस्ट किया 

ऐसा एक और वीडियो देखने को मिला। इस वीडियो को फेसबुक, यूट्यूब और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया गया। इसमें दिखाया गया कि एक अजरबैजानी विमान ने आर्मीनियाई विमान पर किस तरह से हमला कर उसे नष्ट कर दिया। इसे हमले का एक्सक्लूसिव फुटेज बता कर इसे प्रसारित भी किया गया लेकिन ये असली वीडियो नहीं बल्कि इसे एडिट करके बनाया गया था। असली वीडियो अगस्त 2020 में एक जापानी चैनल में यूट्यूब पर पोस्ट किया गया था और जिसके आखिर में डिस्क्लेमर लिखा गया था कि ये असली नहीं बल्कि बनावटी है।

हैशटैग भी किए गए इस्तेमाल 

दुनिया भर के लोगों को जब आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध के बारे में पता चला तो गूगल पर इनके बारे में खोज भी शुरू हुई। इसके अलावा राजनीतिक दृष्टिकोण से इस युद्ध का लाभ लेने के लिए कई शब्द ट्रेंड भी कराए गए।

फेसबुक पर 'आर्मीनिया' शब्द को 2 करोड़ बार और 'अजरबैजान' शब्द को 1.7 करोड़ बार खोजा गया। इसके साथ ही अंग्रेज़ी में #WeWillWin, #DontBelieveArmenia, और #StopAzerbaijanAggression जैसे हैशटैग शब्दों का इस्तेमाल किया गया। आर्मीनियाई, तुर्की और अजरबैजान, अजरबैजान और आर्मीनिया की सैन्य क्षमता, नागोर्नो-काराबाख इतिहास जैसे शब्दों को लोगों ने काफी सर्च किया।


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