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थाइलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए तेज, बैंकॉक में आपातस्थिति

प्रदर्शनकारी छात्र मांग रहे प्रधानमंत्री का इस्तीफा संसद का आपात सत्र आहूत।राजशाही में सुधार की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी युवा प्रधानमंत्री प्रयूथ चान-ओचा का इस्तीफा चाह रहे हैं। थाइलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए तेज बैंकॉक में आपातस्थिति।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 10:15 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 10:15 PM (IST)
थाइलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए तेज, बैंकॉक में आपातस्थिति
थाइलैंड में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए तेज।

बैंकॉक, एपी। राजधानी बैंकॉक से शुरू हुआ सरकार विरोधी प्रदर्शन अब थाइलैंड के अन्य हिस्सों में फैलता जा रहा है। छह दिनों से सड़क पर उतरे युवाओं की अगुआई छात्र कर रहे हैं और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद ये काबू में नहीं आ रहे हैं। तेजी से बिगड़ रहे हालात के मद्देनजर संसद का आपात सत्र बुलाने का फैसला किया गया है जिसमें सभी दल उत्पन्न स्थिति पर विचार करेंगे।

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प्रदर्शनों को काबू में करने के लिए प्रशासन ने अब मीडिया को सेंसर करने का फैसला किया है। कहा है कि प्रदर्शनों से जुड़ी खबरों को सीमित स्थान दिया जाए। इस सिलसिले में सोमवार को कई मीडिया प्रतिष्ठानों पर छापे भी मारे गए। साथ ही टेलीग्राम मैसेजिंग एप को ब्लॉक करने की कोशिश हुई। प्रदर्शनकारी संदेशों के आदान-प्रदान के लिए इस एप का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत बैंकॉक में आपातस्थिति लागू कर दी गई है। इसके तहत चार से ज्यादा लोगों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लग गया है। प्रशासन को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई और उन्हें गिरफ्तार करने के व्यापक अधिकार मिल गए हैं।

राजशाही में सुधार की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी युवा प्रधानमंत्री प्रयूथ चान-ओचा का इस्तीफा चाह रहे हैं। सैन्य अधिकारी प्रयूथ ने 2014 में तत्कालीन सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा किया था। इसके बाद 2019 में हुए आम चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की लेकिन तमाम लोग उनकी सेना समर्थित पार्टी की जीत सही नहीं मानते हैं। क्योंकि चुनाव से पहले उनकी पार्टी के लिए लाभकारी माने जाने वाले संशोधन संविधान में कर दिए गए थे। देश की जनता ने इन संविधान संशोधनों को न्यायोचित नहीं माना था। प्रदर्शनकारी इन्हीं बातों को लेकर सड़कों पर हैं और उन्हें जनता का समर्थन मिल रहा है। ऐसे में जनता और सेना के बीच टकराव की आशंका भी पैदा हो गई है। प्रेक्षक मानते हैं कि आने वाले दिनों में हालात काबू में नहीं आए तो देश में हिंसा फैल सकती है।


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