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अनिरुद्ध जगन्नाथ बोले, मॉरीशस की आजादी के पीछे हिंदी का बहुत योगदान

अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि अगर हम भारत को माता कहते हैं तो मॉरीशस उस माता का पुत्र है।

By Arti YadavEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 08:02 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 08:05 AM (IST)
अनिरुद्ध जगन्नाथ बोले, मॉरीशस की आजादी के पीछे हिंदी का बहुत योगदान
अनिरुद्ध जगन्नाथ बोले, मॉरीशस की आजादी के पीछे हिंदी का बहुत योगदान

पोर्ट लुई (अनंत विजय)। मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में तीन दिनों से जारी विश्व हिंदी सम्मेलन का समापन सोमवार को हो गया। श्रोताओं से खचाखच भरे सभागार में मॉरीशस के मार्गदर्शक मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने हिंदी और हिंदुस्तान को लेकर भावुक कर देने वाला भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मॉरीशस की आजादी के पीछे हिंदी का बहुत योगदान है और आजादी के बाद हिंदी ने मॉरीशस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि अगर हम भारत को माता कहते हैं तो मॉरीशस उस माता का पुत्र है।

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अनिरुद्ध जगन्नाथ के मुताबिक पुत्र मॉरीशस अपना कर्तव्य अच्छी तरह समझता है। उन्होंने वहां मौजूद हिंदी प्रेमियों को भरोसा दिलाया कि मॉरीशस हिंदी के विकास में और उसको मजबूत करने के लिए जी जान से समर्थन देगा। उनके भाषण के पहले तीन दिनों में आयोजित आठ सत्रों की अनुशंसाएं प्रस्तुत कीं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश्वर मिश्र ने भाषा और लोकसंस्कृति पर अनुशंसा पेश की। इसमें एक सांस्कृतिक अवध ग्राम की स्थापना, भारत और प्रवासी लोकगीतों का संकलन, पाठ्यक्रम में लोकसंस्कृति को शामिल करना और लोकभाषा के लिए कार्ययोजना बनाना शामिल था। प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिंदी सहित भारतीय भाषाओं के विकास की अनुशंसा में डिजीटल क्रांति की बात की गई। इसके अलावा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की अनुशंसा भी की गई। हिंदी शिक्षण में भारतीय संस्कृति को लेकर शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जोर दिया गया। साथ ही पाठ्यक्रम बनाने में सैद्धांतिक आधार पर विवेचना की बात भी कही गई। हिंदी साहित्य में सांस्कृतिक चिंतन पर हुई अनुशंसा में साहित्य और संस्कृति को मजबूत करने से लेकर भारत पर हो रहे सांस्कृतिक हमलों पर चिंता व्यक्त की गई और इससे निबटने के उपायों पर विचार करने को कहा गया।

प्रवासी संसार, भाषा और संस्कृति के सत्र की अनुशंसा प्रस्तुत करते हुए प्रेम जनमेजय ने अगला विश्व हिंदी सम्मेलन फीजी में करवाने की सिफारिश की। इसके अलावा गोस्वामी तुलसीदास की कृतियों पर आधारित सांस्कृतिक ग्राम बनाने की अनुशंसा भी की गई।

संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति के सत्र पर आधारित अनुशंसा सत्यदेव टेंडर ने पेश की। इसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हिंदी पत्रकारिता का विश्वविद्यालय बनाने की अनुशंसा की गई। इसके अलावा वाजपेयी के समग्र लेखन को एक साथ प्रकाशित करने का प्रस्ताव भी दिया गया। एक महत्वपूर्ण अनुशंसा हिंदी भाषी देशों के बीच प्रसारण सामग्री साझा करने की योजना बनाने की भी की गई।

फिल्मों वाले सत्र के आधार पर बेव सीरीज पर आ रही सामग्री के नियमन का प्रस्ताव आया। ग्रामीण फिल्मकारों को सरकारी मदद देने की बात भी हुई। हिंदी में बाल साहित्य को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजन पर बल दिया गया। विश्व हिंदी सम्मेलन का समापन भाषण मॉरीशस के कार्यवाहक राष्ट्रपति पराशिवमव पिल्लै ने दिया। इस मौके पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर और वीके सिंह, मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के अलावा गोवा और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल मौजूद थे।

हिंदी सेवियों का सम्मान

मॉरीशस में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन के मौके पर पूरी दुनिया के हिंदी के विद्वानों और हिंदी को मजबूत करने वाली संस्थाओं को सम्मानित किया गया। मॉरीशस के प्रेमचंद कहे जाने अभिमन्यु अनत को मरणोपरांत सम्मानित किया गया और जब उनकी पत्नी सरिता अनंत सम्मान लेने मंच पर पहुंची तो सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

भारत से इंद्रनाथ चौधुरी, प्रसून जोशी, सुरेश ऋतुपर्ण, प्रेमशंकर त्रिपाठी, ऋता शुक्ल, श्रीधर पराड़कर, तन्जनसोमा आओ, सुभाष कश्यप, सी. भास्कर राव और केसी अजय कुमार को सम्मानित किया गया। इसके अलावा तजाकिस्तान, त्रिनिदाद, जर्मनी,रूस, बल्गारिया, दक्षिण कोरिया, नेपाल, मंगोलिया, न्यूजीलैंड, मंगोलिया जापान, कनाडा और इंडोनेशिया के हिंदी विद्वानों को सम्मानित किया गया। संस्थानों में मॉरीशस की हिंदी प्रचारिणी सभा, जापान के टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फारेंसिक स्टडीज, मॉरीशस की आर्य सभा को भी सम्मानित किया गया।


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