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पाक की नापाक हरकतों से अमेरिका चितिंत, आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं कर रहे इमरान

रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 06:53 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:55 PM (IST)
पाक की नापाक हरकतों से अमेरिका चितिंत, आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं कर रहे इमरान
पाक की नापाक हरकतों से अमेरिका चितिंत, आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं कर रहे इमरान

एम्सटर्डम, एएनआइ। एक यूरोपीय थिंक टैंक के अनुसार, पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की मौजूदगी व सक्रियता से अमेरिका बेहद चिंतित है। उसने वाशिंगटन की इस चिंता को जायज करार दिया है। थिंक टैंक का कहना है कि प्रतिबंध और चेतावनियों के बावजूद पाकिस्तान आतंकवादियों को खुला समर्थन देने से बाज नहीं आ रहा है।

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इसको लेकर अमेरिका की चिंता क्षेत्र में सुरक्षा की गंभीर तस्वीर पेश करती है। द यूरोपीय फाउंडेशन ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) ने इस संबंध में अमेरिकी विदेश विभाग की 2018 में आतंकवाद पर आई रिपोर्ट का हवाला दिया है।

पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों पर नहीं कार्रवाई

रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं इस्लामाबाद ने प्रशिक्षण और पैसे उगाहने के लिए आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने दिया।

पाकिस्तान ने लश्कर से जुड़े लोगों को सहायता उपलब्ध कराई

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान ने लश्कर से जुड़े लोगों को जुलाई में हुए आम चुनाव में भाग लेने के लिए सहायता भी उपलब्ध कराई थी। द डिप्लोमेट के लाहौर स्थित संवाददाता उमर जमाल ने नौ नवंबर को लिखे एक लेख में अमेरिकी विदेश विभाग की चिंताओं को विस्तार से बताया है।

उन्होंने लिखा है कि बयानबाजी के अलावा पाकिस्तान ने ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे पता लगे कि उसने भारत के खिलाफ अभियान चलाने वाले आतंकी समूहों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई की है। जमाल का आरोप है कि इन आतंकी संगठनों को मीडिया की निगाह से दूर रखने की पाकिस्तान पुरजोर कोशिश कर रहा है।

राजनीतिक सामंजस्य विकसित करने का वादा

अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका पर विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान सरकार ने अफगान सरकार और तालिबान के बीच राजनीतिक सामंजस्य विकसित करने का वादा किया था, लेकिन उसने अपनी धरती से तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की गतिविधियों को कभी भी बंद नहीं किया।

जिसके चलते तालिबान और हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में लगातार हमले जारी रखे। उधर, अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की एक अन्य रिपोर्ट में भी अफगानिस्तान में पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका का जिक्र किया गया है। बता दें कि सीआरएस को समय-समय पर सांसदों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों की रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा जाता है।


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