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अमेरिका के बाद ऑस्ट्रिया पर भी बड़ा CyberAttack, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

अमेरिका के बाद ऑस्ट्रिया पर साइबर अटैक की खबर है। देश के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उसका इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम एक बड़े साइबर अटैक का सामना कर रहा है।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 11:27 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 11:27 AM (IST)
अमेरिका के बाद ऑस्ट्रिया पर भी बड़ा CyberAttack, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी
अमेरिका के बाद ऑस्ट्रिया पर भी बड़ा CyberAttack, विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

विएना, आइएएनएस। अमेरिका के बाद यूरोपियन देश ऑस्ट्रिया पर साइबर अटैक की खबर है। देश के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि उसका इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम एक बड़े साइबर अटैक का सामना कर रहा है। बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच तनाव जारी है। इसी बीच कुछ ईरानी हैकरों ने दावा किया है कि उन्होंने अमेरिका के सरकारी वेबसाइट को हैक किया है।

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मंत्रालय की ओर से कहा गया कि हमले की गंभीरता और प्रकृति को देखते हुए इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि यह अटैक लक्ष्य बनाकर किया गया है। ईएफई न्यूज ने शनिवार को यह बात मंत्रालय के हवाले से कही। 

यूरोपीय देशों पर पहले भी हुआ साइबर अटैक

मंत्रालय की ओर से बयान में आगे कहा गया कि इससे पहले भी कुछ यूरोपीय देशों को समान रूप से निशाना बनाकर साइबर अटैक किया गया है। शनिवार को देर से हमले का पता चला और तुरंत इसे लेकर जवाबी कार्रवाई की गई। 

सुरक्षा तंत्र सभी स्तरों पर सक्रिय

मंत्रालय के प्रवक्ता पीटर गुशेलबॉयर ने ऑस्ट्रिया प्रेस एजेंसी से कहा कि तुरंत एहतियाती कदम उठाने के बावजूद, हमला जारी रहा। नेटवर्क और इंफॉर्मेशन सिस्टम सिक्योरिटी एक्ट के अनुसार मामले देखरेख करने के लिए एक समन्वय समिति बनाई गई है और सभी संबंधित संघीय एजेंसियों को सक्रिय कर दिया गया है। सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था के बाद भी साइबर अटैक के खिलाफ 100 प्रतिशत सुरक्षित नहीं है। ऐसी स्थितियों के लिए सभी राज्य सुरक्षा तंत्र सभी स्तरों पर सक्रिय हैं। 

यूरोपीय संघ ने बनाया कानून

2018 में जर्मन सरकार के आईटी नेटवर्क को साइबर अटैक से प्रभावित था। पिछले साल यूरोपीय संघ ने इसे लेकर एक कानून बनाया था। यह कानून हैकर्स को दंडित करने के लिए बनाया गया था, जो साइबर अटैक करके अस्पतालों और बैंकों की व्यवस्था और चुनाव को प्रभावित करते हैं या किसी कंपनी की जानकारी और फंड चुराने की कोशिश करते हैं।  


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