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अफगानिस्तानः तालिबान राज में LGBT समुदाय का जीना दुश्वार, मिल रही धमकियां

अफगानिस्तान में LGBT समुदाय के सदस्यों को तालिबान राज में गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। 43 पन्नों की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि कैसे तालिबान सदस्यों ने उनकी लिंग पहचान के कारण उन पर हमला किया या उन्हें धमकी दी।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 01:41 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 01:41 PM (IST)
अफगानिस्तानः तालिबान राज में LGBT समुदाय का जीना दुश्वार, मिल रही धमकियां
तालिबान राज में LGBT समुदाय को गंभीर खतरा। (फाइल फोटो)

न्यूयार्क, एएनआइ। अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद से अफगानियों की हालत जग जाहिर है। लेकिन जानकारी के अनुसार वहां अब तालिबानी एक खास समुदाय को निशाना बना रहे हैं। ह्यूमन राइट्स वाच (HRW) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में समलैंगिकों (LGBT) समुदाय के सदस्यों को तालिबान राज में गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। एलजीबीटी अफगानों के साथ 60 साक्षात्कारों पर आधारित 43 पन्नों की एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि कैसे तालिबान सदस्यों ने उनकी लिंग पहचान के कारण उन पर हमला किया या उन्हें धमकी दी।

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परिवार भी हुए खिलाफ

एचआरडब्ल्यू और आउटराइट एक्शन इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डर का आलम ऐसा है कि यहां तक की LGBT लोगों का परिवार भी उनके खिलाफ हो गया है। कई लोगों ने इस रिपोर्ट में बताया कि तालिबान का समर्थन करने वाले कई लोगों ने समुदाय के परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और पार्टनर्स को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने करीबी एलजीबीटी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी तक दे दी है।

कुछ तालिबान सदस्यों या उनका पीछा करने वाले समर्थकों के हमलों से अपने घरों से भाग गए। अन्य लोगों ने देखा कि उन्होंने वर्षों से सावधानीपूर्वक बनाए गए जीवन को रातोंरात गायब कर दिया और अपने यौन अभिविन्यास या लिंग पहचान के कारण किसी भी समय लक्षित होने के जोखिम में खुद को पाया।

देश की संस्थाओं से भी उठा विश्वास

आउटराइट एक्शन इंटरनेशनल के जे.लेस्टर फेडर ने अपने शोध में बताया कि उन्होंने एलजीबीटी अफगानों के साथ बात की जो सामूहिक बलात्कार, भीड़ के हमलों से बच गए हैं, या तालिबान में शामिल होने वाले अपने ही परिवार के सदस्यों द्वारा शिकार किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अब उन लोगों को कोई उम्मीद नहीं है कि देश की कोई भी संस्था उनकी रक्षा करेगी।

पहले भी खतरनाक थी स्थिति

एचआरडब्ल्यू ने कहा कि अधिकांश साक्षात्कारकर्ता अफगानिस्तान में थे, जबकि अन्य पास के देशों में भाग गए थे। न्यूयार्क स्थित समूह ने रिपोर्ट में बताया कि 15 अगस्त, 2021 को तालिबान द्वारा देश पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने से पहले भी अफगानिस्तान एलजीबीटी लोगों के लिए एक खतरनाक जगह थी। लेकिन तालिबान के देश पर नियंत्रण पाने के बाद स्थिति और खराब हो गई है। यहां तक कि तालिबान के एक प्रवक्ता ने अक्टूबर में रायटर्स से कहा था कि LGBT उनके शरिया [इस्लामी] कानून के खिलाफ है और वह कठौर कार्रवाई करेंगे।


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