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अफगानिस्तान सरकार की दो टूक, संघर्ष विराम को माने बिना तालिबान से नहीं होगी बातचीत

Taliban must accept ceasefire before talks अफगानिस्तान सरकार ने दो टूक कह दिया है कि किसी भी प्रकार की शांति वार्ता से पहले तालिबान को संघर्ष विराम करना होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 03:53 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 04:21 PM (IST)
अफगानिस्तान सरकार की दो टूक, संघर्ष विराम को माने बिना तालिबान से नहीं होगी बातचीत
अफगानिस्तान सरकार की दो टूक, संघर्ष विराम को माने बिना तालिबान से नहीं होगी बातचीत

काबुल, आइएएनएस। Afghanistan said that Taliban must accept ceasefire before talks अफगानिस्तान सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि किसी भी प्रकार की शांति वार्ता से पहले तालिबान को संघर्ष विराम करना होगा। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर आतंकी संगठन ऐसा नहीं करता है तो अफगान सरकार से वार्ता नहीं होगी।राष्ट्रपति भवन के प्रवक्ता सादिक सीद्दिकी ने कहा कि तालिबान के संघर्ष विराम किए बिना ना तो लंबे समय तक क्षेत्र में शांति रह सकती है और ना ही हिंसा में किसी भी प्रकार की कमी आएगी।

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इस बीच एक सूत्र ने कहा है कि तालिबान ने ¨हसा में कमी के लिए एक योजना तैयार की है, लेकिन वह अफगान सरकार के साथ वार्ता से पहले संघर्ष विराम के लिए तैयार नहीं है। अफगानिस्तान के लिए नाटो के प्रतिनिधि निकोलस काई का कहना है कि वह आशावादी हैं और उम्मीद करते हैं कि अमेरिका और तालिबान के बीच शांति वार्ता आगे बढ़ेगी और उससे अफगान सरकार से आतंकी संगठन की वार्ता का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्होंने कहा कि पिछले वर्षो के दौरान शांति प्रक्रिया के पक्ष में एक मजबूत क्षेत्रीय सहमति बनी है और वर्तमान समय में इस क्षेत्र में सुरक्षा बल पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं। शांति वार्ता से जुड़े एक अन्य सूत्र ने कहा है कि इस मामले में अमेरिका के विशेष दूत जाल्मे खलीलजाद पिछले एक सप्ताह से कतर में हैं। इस दौरान उनकी तालिबान के उपनेता अब्दुल गनी बरादर के साथ अनौपचारिक बातचीत भी हुई है।

सूत्रों के मुताबिक, अफगान सरकार के नेताओं के साथ ¨हसा को कम करने के वास्ते तालिबान द्वारा तैयार की गई योजना को साझा करने के लिए खलीलजाद जल्द ही काबुल का दौरा करेंगे। बता दें कि अफगानिस्तान के संकट को हल करने के लिए अक्टूबर 2018 में दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच वार्ता शुरू हुई थी, लेकिन पिछले साल सितंबर में एक कार बम विस्फोट के बाद यह पटरी से उतर गई थी। सात दिसंबर 2019 को वार्ता फिर शुरू हुई, लेकिन बगराम हमले के बाद यह फिर से रुक गई।


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