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आर्थिक पतन के कगार पर अफगानिस्तान, नकदी संकट ने बढ़ाई तालिबान सरकार की मुश्किलें

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा हुए अब एक महीने का वक़्त हो गया है। इस बीच अफगानिस्तान में कैश की भारी किल्लत है और फिलहाल तालिबान के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामने मुंह बाये खड़े आर्थिक संकट का समाधान खोजना है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 01:26 PM (IST)
आर्थिक पतन के कगार पर अफगानिस्तान, नकदी संकट ने बढ़ाई तालिबान सरकार की मुश्किलें
तालिबान के सामने खड़ी आर्थिक संकट की समस्या।(फोटो: एएफपी)

काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान के पास युद्ध जीतने से भी बड़ी चुनौती है वहां सरकार चलाना। अफगानिस्तान में बड़ी उथल-पुथल, आर्थिक संकट के साथ अब लोग बेरोजगारी और गरीबी की तरफ बढ़ रहे हैं। देश के आम लोग दो वक्त का खाना खाने के लिए अपने घर का कीमती सामान बेचने को मजबूर हैं। कई रिपोर्टों के अनुसार, पिछले महीने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।

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द न्यूयार्क पोस्ट ने बताया कि 15 अगस्त को तालिबान की काबुल की घेराबंदी के तुरंत बाद विदेशी सहायता तुरंत रोक दी गई थी। इसके अलावा अमेरिका ने देश के केंद्रीय बैंक में 9.4 बिलियन अमरीकी डालर के भंडार को रोक दिया। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने भी ऋण रोक दिया है और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल ने अपने 39 सदस्य देशों को तालिबान की संपत्ति को फ्रीज करने की चेतावनी दी है।

अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से करोड़ों लोगों को बैंकों से अपनी बचत निकालने के लिए लंबी लाइनों में इंतजार करते देखा गया है। अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान की बैंक संपत्तियों को फ्रीज करने और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा फंड को रोकने की घोषणा ने अफगानों के बीच चिंता बढ़ा दी है। अफगान के लोग जो पहले सरकारी नौकरियों कर रहे थे या निजी क्षेत्र में काम कर रहे थे, उन्हें रातोंरात बेरोजगार कर दिया गया है। टोलो न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानों ने अब काबुल की सड़कों को साप्ताहिक बाजारों में बदल दिया है जहां वे अपने घरेलू सामान को सस्ते दामों पर बेच रहे हैं ताकि वे अपने परिवार को खाना मुहैया करा सकें।

अन्य विशेषज्ञों के अनुसार, नई सरकार सहित अफ़गानों के लिए एक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था ही एकमात्र रास्ता हो सकता है, जिससे वे बचे रह सकें। द पोस्ट के अनुसार, तालिबान खुद मुख्य रूप से अपने विद्रोह के वर्षों के दौरान जीवित रहने के लिए हवाला के पैसों पर निर्भर थे। देश में बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान के लिए 1 अरब अमरीकी डालर से अधिक की सहायता का वादा किया है यह चेतावनी देते हुए कि अधिकांश आबादी जल्द ही गरीबी रेखा से नीचे आ सकती है। पिछली अफगान सरकार में वाणिज्य और उद्योग उप मंत्री मुहम्मद सुलेमान बिन शाह ने कहा कि कब्जे से पहले देश की अर्थव्यवस्था नाजुक थी।

काबुल पर कब्जा करने के एक महीने बाद तालिबान अब कठिन समस्याओं का सामना कर रहा है। उनके पास अब अफगानिस्तान के लोगों को रोजगार देने और एक सक्षम प्रशासन कायम करने की चुनौती है।


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