समस्याओं से घिरे अफगानिस्तान में खलने लगी भारत की कमी, पिछले दो दशकों में हर क्षेत्र के विकास में की है बड़ी मदद
मानवीय समस्याओं का सामना कर रहे अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज तालिबान के लिए भारत से दूरी नुकसानदेह साबित हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि अफगानिस्तान के विकास में भारत की कमी साफ दिखने लगी है।
काबुल, एएनआइ। मानवीय समस्याओं का सामना कर रहे अफगानिस्तान की सत्ता में काबिज तालिबान के लिए भारत से दूरी नुकसानदेह साबित हो रही है। विश्लेषकों का मानना है कि अफगानिस्तान के विकास में भारत की कमी साफ दिखने लगी है। पिछले दो दशकों में भारत ने सेना से लेकर शिक्षा तक, हर क्षेत्र में अफगानिस्तान की बड़ी मदद की है।
एशियन लाइट समाचार पत्र के अनुसार, भारत ने अफगानिस्तानी वायुसेना को वर्ष 2015 में चार एमआइ-25 लड़ाकू हेलीकाप्टरों की आपूर्ति की थी व आर्मी को 285 वाहन दिए थे। वर्ष 2009 में जब अफगानिस्तान में अनाज संकट पैदा हो गया था, तब भारत ने 2.5 लाख टन गेहूं उपलब्ध कराया था। भारत ने काबुल स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ चाइल्ड हेल्थ का पुननिर्माण कराया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की नागर विमानन क्षमता में विस्तार के लिए भारत ने उसे तीन एयरबस विमान व जरूरी पुर्जे प्रदान किए थे। कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया था। भारत ने वर्ष 2005 में देश के 11 प्रांतों में संचार व्यवस्था बहाल करने व डिजिटल टेलीफोन एक्सचेंज तथा पावर हाउस की स्थापना में भी बड़ी मदद की। वर्ष 2001 के आखिर में 400 बसें उपलब्ध कराईं। हबीबिया स्कूल, काबुल के पुनर्निर्माण में मदद की और हर साल 500 अफगानी विद्यार्थियों के लिए दीर्घकालिक छात्रवृत्ति की व्यवस्था की।
यूएनएचआरसी ने अफगानियों को भुखमरी से बचाने के लिए मांगी मदद
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रवक्ता बाबर बलूच ने अफगानिस्तान के 35 लाख लोगों को भुखमरी से बचाने के लिए मानवीय सहायता प्रदान करने का आह्वान किया। करीब 2.3 करोड़, यानी 55 फीसद आबादी के पास खाने का संकट है। इनमें 90 लाख लोग संकट के दौर से गुजर रहे हैं।
फ्रांस ने 300 लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला
फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान से 258 अफगानी, 11 फ्रांसीसी व 60 डच नागरिकों को बाहर निकाला गया है।
अफगानिस्तान के मुद्दे पर मुस्लिम देशों की बैठक 19 को
प्रेट्र के अनुसार, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि अगर फ्रीज की गईं संपत्तियां मुक्त नहीं की गईं तो अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था धराशाई हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में खराब होते मानवीय हालात के मुद्दे पर पाकिस्तान 19 दिसंबर को मुस्लिम देशों की बैठक की मेजबानी करेगा। कुरैशी ने लाहौर में मीडिया को बताया कि 41 साल बाद पहली बार इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) की विदेश मंत्री परिषद के 17वें असाधारण सत्र का आयोजन किया जा रहा है।