अफगानिस्तान में 400 दुर्दांत तालिबान आतंकियों की रिहाई के लिए लोया जिरगा, जानें इसके बारे में
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को तालिबान के 400 खूंखार आतंकियों की रिहाई को लेकर कड़ी सुरक्षा के बीच लोया जिरगा शुरू हो गया। जानें इसके बारे में...
काबुल, रायटर। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच लोया जिरगा शुरू हो गया। इसमें देश भर से आए राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षिक वर्गो के 3,200 प्रमुख लोग हिस्सा ले रहे हैं। प्रमुख लोगों का यह जमावड़ा तालिबान के उन 400 आतंकियों के भविष्य का फैसला करेगा जिन पर जघन्यतम वारदातों के आरोप हैं या उन पर जुर्म साबित हो गया है। तालिबान ने सरकार से वार्ता शुरू करने के लिए इन बंदियों की रिहाई की शर्त रखी है।
पांच हजार तालिबान हो चुके हैं रिहा
अफगानिस्तान की सामाजिक व्यवस्था में बड़े मसलों पर फैसले के लिए लोया जिरगा आयोजित होता है। इसे आम राय माना जाता है। अमेरिका ने इस आयोजन पर खुशी जाहिर की है। कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच तीन दिन के इस आयोजन में फैसला होगा कि विभिन्न तरह के हमलों में हजारों लोगों को मार चुके इन आतंकियों को छोड़ा जाए या नहीं। सरकार इनसे पहले करीब पांच हजार तालिबान को रिहा कर चुकी है।
1,100 सरकारी बल के जवानों को छोड़ा
इन तालिबान आतंकियों को कम गंभीर मामलों में पकड़ा गया था। बदले में तालिबान ने भी करीब 1,100 सरकारी बलों के लोगों, सरकारी कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के लोगों को अपनी कैद से मुक्त किया है। दोनों तरफ से ये रिहाई अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी में कतर की राजधानी दोहा में हुए समझौते के बाद हुई है। समझौते का उद्देश्य अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी और शांति बहाली है।
क्रूर आतंकियों की रिहाई पर फंसा पेंच
इस समझौते के बाद तालिबान की अफगान सरकार से वार्ता होनी थी लेकिन तालिबान ने पहले बंदियों की रिहाई की शर्त रख दी। अब जबकि दोनों ओर के ज्यादातर बंदी रिहा हो चुके हैं, तब जघन्यतम वारदातों के लिए जिम्मेदार इन 400 बंदियों की रिहाई का पेच फंस गया है।
खूनखराबा बंद होने की भी गारंटी मिले
लोया जिरगा में उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा, तालिबान की शर्त है कि इन 400 बंदियों की रिहाई हो जाती है, तो वह तीन दिन के भीतर संघर्ष विराम का एलान कर सरकार के साथ वार्ता शुरू कर देगा लेकिन तालिबान ने इस बयान पर अभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है। लोया जिरगा में शामिल होने आए बहुत से लोगों का मानना है कि देश में शांति की स्थापना के लिए 400 बंदियों की रिहाई का फैसला लिया जा सकता है लेकिन खूनखराबा बंद होने की भी गारंटी मिलनी चाहिए।