अफगानिस्तान में सामाजिक कार्यकर्ता समेत चार महिलाओं की हत्या, आइएस के 25 आतंकियों का समर्पण
अफगानिस्तान में एक सामाजिक कार्यकर्ता समेत चार महिलाओं की हत्या कर दी गई। उनके शव उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ स्थित एक घर में पिछले हफ्ते बरामद हुए। इस मामले में दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
इस्लामाबाद, एपी। अफगानिस्तान में एक सामाजिक कार्यकर्ता समेत चार महिलाओं की हत्या कर दी गई। उनके शव उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ स्थित एक घर में पिछले हफ्ते बरामद हुए। इस मामले में दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। उधर, आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) के 25 आतंकियों ने शनिवार को जलालाबाद में आत्म समर्पण कर दिया। ट्विटर पर एक वीडियो संदेश में तालिबान सरकार के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद खोस्ती ने कहा कि संदिग्धों ने मजार-ए-शरीफ स्थित उस घर में महिलाओं को बुलाने की बात स्वीकार की है।
अफगानिस्तान छोड़ना चाहती थी महिला
हालांकि, खोस्ती ने यह नहीं बताया कि संदिग्धों ने हत्या की बात स्वीकार की है अथवा नहीं। मृतकों में से एक का नाम फ्रोजन सफी (29) है, जो स्थानीय सांस्कृतिक केंद्र में काम करती थी। जैनुद्दीन मुहम्मद बाबर कल्चरल सेंटर के निदेशक सैयद आजमी सादात ने बताया कि सफी अफगानिस्तान छोड़ना चाहती थी, क्योंकि उसे लगता था कि फिर से प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। उसने तीन हफ्ते पहले अपना घर छोड़ा था। वह कुछ लोगों से मिली थी, जिन्होंने उसे अफगानिस्तान से बाहर निकले में मदद का भरोसा दिया था। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से सामाजिक व मानवाधिकार कार्यकर्ता समेत हजारों अफगानी नागरिक देश छोड़ चुके हैं।
पाकिस्तान जाएंगे तालिबानी विदेश मंत्री
उधर, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी जल्द ही पाकिस्तान के दौरे पर जाने वाले हैं। मुत्ताकी को पिछले महीने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी काबुल यात्रा के दौरान आमंत्रित किया था। मुत्ताकी की पाकिस्तान यात्रा को दोनों पक्षों के बीच संबंधों को फिर से स्थापित करने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है।
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की यह पहली पाकिस्तान यात्रा होगी। मुत्ताकी के साथ कई और तालिबान अधिकारी भी होंगे जो पाकिस्तान के साथ कई मसलों पर विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। हालांकि इस यात्रा को अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की औपचारिक मान्यता के रूप में नहीं देखा देखा जा रहा है।