अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति का बड़ा आरोप, पाकिस्तान कर रहा तालिबान की तरफदारी
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान पाकिस्तानी हक्कानिया मदरसों के द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों पर कतई हस्ताक्षर नहीं करेगा। हक्कानी नेटवर्क के कुछ मुल्ला उन्हें मुस्लिम होने का प्रमाण पत्र दे रहे हैं। हम हजारों साल से मुसलमान हैं।
काबुल, एजेंसियां। अफगानिस्तान में स्थाई शांति और युद्धविराम की कोशिशों में पाकिस्तान पलीता लगा रहा है। वह मध्यस्थता के नाम पर तालिबान की तरफदारी पर उतर आया है। पाक के इन नापाक इरादों को अफगानिस्तान ने उजागर कर दिया है। अफगानिस्तान के प्रथम उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कहा है कि पाकिस्तान तालिबान को शह दे रहा है और शांति वार्ता के लिए उस पर कोई दबाव नहीं डाल रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान पाकिस्तानी हक्कानिया मदरसों के द्वारा तैयार किए गए दस्तावेजों पर कतई हस्ताक्षर नहीं करेगा। हक्कानी नेटवर्क के कुछ मुल्ला उन्हें मुस्लिम होने का प्रमाण पत्र दे रहे हैं। हम हजारों साल से मुसलमान हैं। हमें ऐसे किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। इसी के साथ उन्होंने पाक की भी शांति वार्ता में सहयोग न करने पर आलोचना की। उपराष्ट्रपति सालेह ने कहा कि पाकिस्तान शांति वार्ता के लिए तालिबान पर दबाव न बनाकर अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों का निर्वाह नहीं कर रहा है।
हुक्म चलाकर नहीं हो सकती शांति
अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने अमेरिका के विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के द्वारा आठ पेज के लिखे पत्र पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा अमेरिका अपनी सेना की वापसी का निर्णय ले सकता है। हम साढ़े तीन करोड़ अफगानी जनता के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं कर सकते। हम हुक्म चलाकर शांति कराने से मर जाना ज्यादा पंसद करेंगे।
अफगानिस्तान के सभी पक्षों के साथ वार्ता : अमेरिका
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि कोई भी समझौता अफगानिस्तानी नेतृत्व की सहमति के बिना नहीं किया जाएगा। हम समझौते के लिए किसी को हुक्म नहीं दे सकते हैं। हम परिणामों को पूर्व में ही निर्धारित नहीं कर सकते। अमेरिका के अफगानिस्तान में विशेष प्रतिनिधि जालमे खलीलजाद पाकिस्तान से दोहा पहुंच चुके हैं। शांति वार्ता को आगे बढ़ाने की कोशिश चल रही है।