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कल होने वाली अफगान तालिबान शांति वार्ता पर टिका है अफगानिस्‍तान का भविष्‍य

अफगानिस्‍तान में शांति कायम करने के मद्देनजर शनिवार को एक महत्‍वपूर्ण बैठक कतर की राजधानी दोहा में होने वाली है जिसमें माइक पोंपियों भी शिरकत लेंगे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 04:18 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 06:37 PM (IST)
कल होने वाली अफगान तालिबान शांति वार्ता पर टिका है अफगानिस्‍तान का भविष्‍य
कल होने वाली अफगान तालिबान शांति वार्ता पर टिका है अफगानिस्‍तान का भविष्‍य

दोहा (रॉयटर्स)। अफगानिस्‍तान में शांति की स्‍थापना के मद्देनजर शनिवार को अफगान सरकार और तालिबान के बीच कतर में एक अहम बैठक होने वाली है। कतर में अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। अफगानिस्तान अधिकारियों को उम्मीद है कि इस अहम वार्ता से देश में 19 साल से चली आ रही हिंसा को खत्‍म किया जा सकेगा। अफगानिस्‍तान सरकार के नुमाइंदो ने भी उम्‍मीद जताई है कि ये वार्ता देश में शांति लाने के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो भी इस बैठक में हिस्‍सा लेने पहुंच चुके हैं। उन्‍होंने कहा है कि यह बातचीत अफगानिस्तान में चार दशकों से जारी युद्ध को खत्‍म करने के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है जिसको किसी भी हाल में गंवाना नहीं चाहिए। आपको बता दें कि इस वार्ता को अमेरिका और कतर का पूरा समर्थन हासिल है। इस बैठक में हिस्‍सा लेने के लिए राष्ट्रीय सुलह परिषद (एचसीएनआर) के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला भी कतर पहुंच गए हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि एचसीएनआर को उम्मीद है कि लंबे इंतजार के बाद बातचीत से स्थायी शांति और स्थिरता आएगी और युद्ध का अंत होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप पहले ही इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि वह अफगानिस्‍तान से अब अमेरिकी सैनिकों को अंतहीन युद्ध से निकालना चाहते हैं। उन्‍होंने तालिबान से हुए समझौते को अपनी बड़ी रणनीतिक जीत बताया है और वो इस मुद्दे को राष्‍ट्रपति चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश भी कर रहे हैं। वो लगातार अपनी चुनावी रैलियों और सभाओं में कह रहे हैं कि यदि अमेरिका को और मजबूत बनाना है और आगे ले जाना है तो उन्‍हें दोबारा राष्‍ट्रपति बनाएं। अफगानिस्‍तान-तालिबान की वार्ता प्रक्रिया की ही बात रकें तो ये पहले मार्च में होनी थी, लेकिन कट्टर तालिबान लड़ाकों और अफगान बंदियों की अदला-बदली के बीच हुए विवाद की वजह से इसको स्‍थगित करना पड़ा था। हालांकि अब ये मामला सुलझ चुका है और तालिबान ने एक हजार अफगान सैनिकों और अफगान सरकार द्वारा 5,000 तालिबानी लड़ाके छोड़े गए हैं।

यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब नवंबर में अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव होने हैं और ट्रंप अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर जोर दे रहे हैं। आपको बता दें कि अमेरिका और तालिबान के बीच इसी वर्ष फरवारी एक समझौता हुआ था जिसमें तालिबान ने अमेरिकी फौज को निशाना न बनाने की बात कही थी। समझौते के दौरान अफगानिस्‍तान में अमेरिका के 12,000 से अधिक सैनिक थे। ट्रंप चाहते हैं कि नवंबर तक 8,000 सैनिकों की वापसी सुनिश्चित हो जाए। ऐसा होने पर इसका फायदा वो राष्‍ट्रपति चुनाव में भी उठा सकेंगे। इनमें वो छह कैदी भी शामिल हैं जो फ्रांसीसी और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों और सैनिकों की हत्या में शामिल थे। इन कैदियों की रिहाई को लेकर फ्रांस और आस्‍ट्रेलिया अमेरिका के साथ नहीं थे, लेकिन अंत में वो मान गए। इन कैदियों के दोहा पहुंचने के बाद ही शांति वार्ता को तय कर दिया गया था।

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