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अफगान सरकार की अपील, संघर्ष विराम बढ़ाए तालिबान, सरकार रिहा करेगी तालिबान के 900 आतंकी

अफगानिस्तान एनएसए के प्रवक्ता जावेद फैसल ने पत्रकारों से कहा कि कैदियों के मसले का बेहतर प्रबंधन करने के लिए संघर्ष विराम बढ़ाया जाना महत्वपूर्ण है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 06:42 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 06:42 PM (IST)
अफगान सरकार की अपील, संघर्ष विराम बढ़ाए तालिबान, सरकार रिहा करेगी तालिबान के 900 आतंकी
अफगान सरकार की अपील, संघर्ष विराम बढ़ाए तालिबान, सरकार रिहा करेगी तालिबान के 900 आतंकी

काबुल, रायटर। अफगानिस्तान की सरकार ने आतंकी संगठन तालिबान से तीन दिन के संघर्ष विराम को बढ़ाने की अपील की है। इसके साथ ही अफगान सरकार ने यह एलान भी किया कि वह तालिबान के 900 आतंकियों को रिहा करेगी। तालिबान ने ईद के मौके पर मंगलवार तक के लिए यह संघर्ष विराम किया था।

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समझौते के तहत तालिबान के पांच हजार कैदियों की रिहाई होनी है

आतंकियों की रिहाई का यह आदेश गत फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के तहत किया गया है। समझौते में तालिबान के पांच हजार कैदियों की रिहाई के बदले एक हजार अफगान सैनिकों को रिहा करने की बात कही गई है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में पिछले करीब दो दशक से जारी खूनी संघर्ष को खत्म करने के मकसद से तालिबान और अफगान सरकार के बीच सीधी शांति वार्ता का भी प्रावधान किया गया है। हालांकि तालिबान बंदियों की रिहाई को लेकर उपजे मतभेदों के चलते यह वार्ता अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

अफगान एनएसए ने कहा- कैदियों के मसले को लेकर संघर्ष विराम बढ़ाया जाना जरूरी

अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के प्रवक्ता जावेद फैसल ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, 'कैदियों के मसले का बेहतर प्रबंधन करने के लिए संघर्ष विराम को बढ़ाया जाना महत्वपूर्ण है। इसके लिए अफगान सरकार तैयार है।' इस बयान पर तालिबान की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अफगान सरकार ने गत माह पूरे रमजान के दौरान संघर्ष विराम का प्रस्ताव रखा था। उस समय तालिबान ने इसे ठुकरा दिया था।

तालिबान भारत के साथ डबल गेम खेलना चाहता है

अफगानिस्तान में बरसों तक खून बहाने वाला आतंकी संगठन तालिबान, अशरफ गनी सरकार से बातचीत से पहले खुद को भारत की नजरों में अच्छा दिखाने की कोशिश कर रहा है। वह भारत के साथ डबल गेम खेलना चाहता है और कश्मीर मुद्दे को भुनाने की फिराक में है। भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने यह आशंका तब जताई है, जब हाल ही में तालिबान ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए उसके खिलाफ छेड़े गए किसी भी तरह के जेहाद को समर्थन देने से इनकार किया था। विशेषज्ञों ने तालिबान के इस बयान को अफगान वार्ता से पहले की पैंतरेबाजी करार दिया है।

तालिबान अरसे से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ डबल गेम खेलता रहा है

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य तिलक देवेश्वर के मुताबिक, तालिबान अच्छे और बुरे पुलिसवाले का खेल रचा रहा है। तालिबान, अफगान वार्ता से पहले गनी सरकार को मिल रहे समर्थन की जडे़ं काटना चाहता है, ताकि गनी सरकार का मनोबल टूट जाए और भारत से बातचीत के दरवाजे खुल जाए, जो अभी तक तालिबान से दूरी बनाए हुए है। वहीं, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर फेलो सुशांत सरीन ने कहा, तालिबान अरसे से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ डबल गेम खेलता रहा है और अब कुछ ऐसा ही वह भारत के साथ करने की कोशिश में है। वह भारत के सामने खुद को अफगानिस्तान का असली चेहरे की तरह पेश करना चाहता है, ताकि उससे बातचीत हो तो वह भारत के मामलों में दखल नहीं देने का भरोसा दे सके।


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