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ट्रंप का शांति प्रस्ताव हमारे चेहरे पर तमाचा है, जिसे हम जरुर वापस करेंगे-फिलिस्तीनी राष्ट्रपति

अमेरिका और फिलिस्तान के बीच विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। एक बार फिर फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अमेरिकी प्रेसीडेंट पर निशाना साधा है।

By Arti YadavEdited By: Published: Mon, 15 Jan 2018 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 15 Jan 2018 12:53 PM (IST)
ट्रंप का शांति प्रस्ताव हमारे चेहरे पर तमाचा है, जिसे हम जरुर वापस करेंगे-फिलिस्तीनी राष्ट्रपति

रामल्ला,आइएनएस। अमेरिका और फिलिस्तान के बीच विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। एक बार फिर फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अमेरिकी प्रेसीडेंट पर निशाना साधा है। महमूद अब्बास ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित शांति समझौते की जमकर आलोचना की और इसे चेहरे पर एक थप्पड़ मारना कहा है। न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार अब्बास ने फिलिस्तीन लिबरेशन संगठन (पीएलओ) केंद्रीय परिषद की रामल्ला में दो दिन की बैठक की थी। इस दौरान उन्होने सदस्यों को बताया ट्रम्प का सेन्चुरी का सौदा उनके चेहरे पर एक थप्पड़ है और हम उन्हें वापस यह थप्पड़ लौटाएंगे।

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बता दें कि सेंट्रल काउंसिल ने इजरायल के साथ संबंधो और शांति प्रक्रिया पर रणनीतिक निर्णय लेने के लिए केन्द्रीय परिषद की दो दिन की बैठक बुलाई थी। इस दौरान ट्रम्प की इजरायल की राजधानी के रूप में यरूशलेम को मान्यता देने के फैसले पर चर्चा की गई। अब्बास ने यरूशलेम पर कहा, 'यरूशलेम की स्थिति मक्का की तरह है यरूशलेम की तुलना में कुछ भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं है।'

फिलीस्तीनियों को पूर्व यरूशलेम माना जाता है, जिसे इजरायल ने 1967 में अरब-इजरायल युद्ध के दौरान अपने कब्जे में ले लिया था और उसे अपनी शाश्वत राजधानी के रूप में घोषित किया था। अब्बास ने कहा हम, 'हम ऐसी सभी चीजों को हजार बार ना कहते हैं जो  हमारे भविष्य या हमारे लोगों के लिए सही नहीं है और अब हम ट्रम्प की 'डील ऑफ सेंचुरी' को इस सदी का थप्पड़ कहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि फिलीस्तीनि अतीत की गलतियों को भूलेगा नहीं और ना ही उन्हे दोबारा दोहराएगा। उन्होने आगे कहा कि यह एक विनाशकारी क्षण है।

इस बीच अब्बास ने पीएलओ केंद्रीय परिषद की बैठक का बहिष्कार करने के लिए इस्लामिक हमास आंदोलन और इस्लामिक जिहाद की आलोचना की। अब्बास ने कहा, 'दो समूहों ने बैठक में शामिल ना होने का फैसला किया क्योंकि यह बैठक अरब देशों में नहीं हुई थी। इससे मुझे बहुत चिंता हुई कि हमारे भाइयों ने आखिरी वक्त में कहा कि वे भाग नहीं लेंगे क्योंकि मीटिंग की जगह उचित नहीं है। उनकी नजरों में ऐसी कौन सी जगह है जहां आजादी से फैसले ले सकते हैं।?' उन्होंने कहा, 'मैं इस्लामी जिहाद को दोषी नहीं कह सकता क्योंकि वे राजनीति में काम नहीं करते हैं, लेकिन मुझे यह बात परेशान करती है कि क्या हमास में हमारे भाई हैं?'

परिषद सलीम जौनू के अध्यक्ष ने कुछ समय पहले कहा था कि यरूशलेम पर घोषणा के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका अब शांति प्रक्रिया का राजदूत नहीं है। उन्होने कहा किसी भी विचार जो 'डील ऑफ सेंचुरी' के नाम पर कारोबार करता है, उसे हमारा सामना करना होगा। यह एक ऐसे समाधान को लागू करने का प्रयास करता है जो हमारे वैध अधिकारों की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा नहीं करता है। उन्होने कहा कि फिलिस्तीनी राष्ट्रीय परिषद (पीएनसी) को फिलीस्तीनियों की विधान परिषद के रूप में माना जाना चाहिए।

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