‘पराबैंगनी किरणों’ से कोरोना वायरस का खात्मा, चीन में हो रहा इस्तेमाल
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एहतियातन चीन में बसों व लिफ्ट की सफाई के लिए अल्ट्रावायलेट किरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
शंघाई, एएफपी। सैनिटाइजर्स, हैंडवॉश तो मनुष्यों के लिए लेकिन वाहनों और मॉल आदि में कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए अल्ट्रावॉयलेट किरणों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पहल चीन के शंघाई शहर में शुरू की गई है। यहां बसों की सफाई के लिए विशेष चैंबर बनाए गए हैं जिसमें UV ट्यूब लगाए गए।
चीन में महामारी कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए तमाम प्रयासों के तहत अल्ट्रावॉयलेट किरणों (Ultraviolet light) का इस्तेमाल किया जा रहा है। एएफपी के अनुसार, शंघाई में पब्लिक बसों व लिफ्टों को अल्ट्रावॉयलेट किरणों से निकाला जा रहा ताकि संभावित कीटाणुओं व घातक कोरोना वायरस को खत्म किया जाए।
चीन में इस वायरस के कारण 3,100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इसके साथ ही कंपनियों पर दबाव है कि वे वायरस से बचाव के लिए सख्त कदम उठाएं। इसलिए हर चीज की सफाई के लिए कुछ जगहों पर नई तकनीक का सहारा लिया जा रहा है जिसमें से एक है पराबैंगनी यानी यूवी रेज।
शंघाई पब्लिक ट्रांसपोर्ट फर्म यांगाओ (Shanghai public transport firm Yanggao) ने बसों की नियमित सफाई कक्ष को UV किरणों के विसंक्रमण चैंबर (UV light disinfection chamber) में बदल दिया है जहां बसों में ये किरणें उन वायरसों को मार देंगी। सफाई का यह काम रोज 40 मिनट में होता था जो अब केवल पांच मिनट में होगा।
उल्लेखनीय है कि विसंक्रमण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा संक्रामक एजेंटों, जैसे जीवाणु, विषाणु, बीजाणु आदि को मार दिया जाता है।
यांगाओ में डिप्टी जनरल मैनेजर किन जिन (Qin Jin) ने कहा, ‘महामारी फैलने के बाद हम सक्रियता से विसंक्रमण के और भी नए तरीकों की खोज में जुट गए। उन्होंने आगे बताया कि सामान्य तौर पर यह प्रक्रिया दो लोगों का पूरा ध्यान चाहती है जो बस से वायरस को हटाने से पहले कीटाणुनाशक (disinfectant) का छिड़काव करेंगे।
किन ने कहा, ‘इसके साथ मुश्किल यह है कि कुछ कोनों में यह न पहुंच सके।’ अल्ट्रावॉयलेट क्लीनिंग सिस्टम के सेटअप के लिए टेक्नोलॉजी सप्लायर के साथ ग्रुप ने पार्टनरशिप की है। 210 UV ट्यूब वाले चैंबर में एक बार में एक ही बस जा सकती है। सिस्टम को एक्टिवेट करने से पहले कमरे से स्टाफ को निकलना होगा। इसके बाद बस पर नीली-सफेद रोशनियां डाली जाएंगी। ऐसे दो चैंबर बनाए गए हैं। एक चैंबर एक दिन में 250 बसों को विसंक्रमित कर सकता है।
प्रतिदिन करीब 1,000 बसों की इस तरह की सफाई जरूरी है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने सतर्क किया है कि UV रोशनियों का इस्तेमाल हाथों या स्किन के किसी भी हिस्से की सफाई के लिए नहीं किया जाना चाहिए। लिफ्ट में भी UV ट्यूब लगाए गए हैं और इन्हें तभी एक्टिवेट किया जाता है जब वहां कोई नहीं होता है। अस्पताल के एलिवेटर्स में भी इसे लगाने की योजना है।