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मालदीव की सबसे बड़ी कनेक्टिविटी परियोजना के लिए 2,900 करोड़ के कर्ज के समझौते पर हस्ताक्षर

भारत ने अगस्त में घोषणा की थी वह ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मालदीव को कर्ज के रूप में करीब 2900 करोड़ रुपये और अनुदान के रूप में करीब 730 करोड़ रुपये देगा। यह मालदीव की सबसे बड़ी कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजना होगी।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 11:03 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 11:03 PM (IST)
मालदीव की सबसे बड़ी कनेक्टिविटी परियोजना के लिए 2,900 करोड़ के कर्ज के समझौते पर हस्ताक्षर
मालदीव की सबसे बड़ी कनेक्टिविटी परियोजना के लिए कर्ज पर हस्ताक्षर।

माले, एएनआइ। ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए भारत और मालदीव ने सोमवार को करीब 2,900 करोड़ रुपये के कर्ज समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह मालदीव की सबसे बड़ी कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजना होगी।

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भारत ने अगस्त में घोषणा की थी वह ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मालदीव को कर्ज के रूप में करीब 2,900 करोड़ रुपये और अनुदान के रूप में करीब 730 करोड़ रुपये देगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना था कि माले को गुलीफालु बंदरगाह और थिलाफुशी औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ने वाली 6.7 किमी लंबी ब्रिज परियोजना मालदीव की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और उसमें मूलभूत बदलाव लाने में मददगार होगी। सोमवार को इस आशय के समझौते पर मालदीव के वित्त मंत्री इब्राहिम अमीर और एक्जिम बैंक के महाप्रबंधक निर्मित वेद ने हस्ताक्षर किए। मालदीव के वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने इस परियोजना के क्रियान्वयन में मदद देने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।

इससे पहले मालदीव ने कोरोना काल में भारत से मिली आर्थिक मदद के लिए आभार जताया था। । संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा था, 'मैं अपने सभी सहयोगियों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस संकट के दौरान भी उदारतापूर्वक आर्थिक, भौतिक और तकनीकी सहायता की है, जबकि वे खुद भी चुनौतियों से जूझ रहे थे। भारत ने तो मिसाल पेश की है। इस दौरान भारत ने 250 मिलियन डॉलर (लगभग 1, 842 करोड़ रुपये) की सहायता की, जो सबसे बड़ी वित्तीय मदद है।' उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी के चलते दुनिया को वैश्विक सहयोग के महत्व का पता चला। अपने दोस्तों और बहुपक्षीय सहयोगियों की मदद के बिना मालदीव का इस मुसीबत से निपटना मुश्किल होता।

बता दें कि इस महामारी से देश की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित हुई है। मालदीव की आय का सबसे बड़ा श्रोत पर्यटन है, जो कि पूरी तरह ठप पड़ा है। भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मुहम्मद सोलिह के अनुरोध पर पिछले महीने राजधानी माले में आयोजित एक समारोह में औपचारिक रूप से भारत द्वारा यह वित्तीय मदद मुहैया कराई गई थी। भारत ने सबसे पहले विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भेजी थी। इसके अलावा अप्रैल में 6.2 टन दवाएं और मई में 580 टन खाद्य सामग्री भी भेजी गई थी।


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