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जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया में बढ़ती जा रही चिंता, 196 देश एक साथ मिलकर उठा रहे कदम

COP 25 स्पेन की राजधानी मैड्रिड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन ‘कॉप 25’ का आधिकारिक रूप से आगाज हुआ।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 12:19 PM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 12:21 PM (IST)
जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया में बढ़ती जा रही चिंता, 196 देश एक साथ मिलकर उठा रहे कदम
जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया में बढ़ती जा रही चिंता, 196 देश एक साथ मिलकर उठा रहे कदम

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दुनिया में जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र करीब तीन दशक पहले से ही जलवायु परिवर्तन की नौतियों से निपटने की कोशिशों में जुट गया था, लेकिन उसके प्रयास अभी भी पूरी तरह से सिरे नहीं चढ़ सके हैं।

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हर साल की तरह इस बार भी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन शुरू हो चुका है, जिसमें दुनिया के 196 देश हिस्सा ले रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के तहत कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी)-25 इस बार 2 से 13 दिसंबर तक स्पेन में आयोजित किया जा रहा है। इस आशय का पहला सम्मेलन 1995 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित हुआ था।

क्या है सीओपी-25 (COP 25) जलवायु सम्मेलन 

संयुक्त राष्ट्र का यह 25वां जलवायु सम्मेलन सीओपी (कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज) संयुक्त राष्ट्र से संबंधित देशों का वार्षिक सम्मेलन है। इस बार इसमें 25 सत्र होंगे। जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर से आए लोग अपने विचार रखेंगें। 

कहां हो रहा है सम्मेलन 

पहले इसकी मेजबानी ब्राजील को करनी थी, लेकिन उसका इरादा बदलने के बाद यह चिली के पास आई। हालांकि चिली के सेंटियागो में अशांति के बाद उसने अपने कदम पीछे खींच लिए तो स्पेन ने मेजबानी करना स्वीकार किया। सम्मेलन से पहले भी 25 नवंबर से एक दिसंबर तक पूर्व सत्रों का आयोजन किया गया था।

क्या है उद्देश्य 

धरती का तापमान बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण है ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन। इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी देशों को उनके वादों को याद दिलाना भी है जिसमें उन्होंने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की बात कही थी। साथ ही 2015 के पेरिस जलवायु समझौते को पूरी तरह से लागू करने की बात भी की जाएगी। 

चार देश सबसे ज्यादा उगल रहे जहर 

2017 में कार्बन उत्सर्जन में चीन पहले, अमेरिका दूसरे, भारत तीसरे और रूस चौथे स्थान पर था। इसमें चीन की हिस्सेदारी 27.2, अमेरिका 14.6, भारत की 6.8 और रूस 4.7 फीसद थी। इस तरह से दुनिया में कार्बन उत्सर्जन का आधे से ज्यादा हिस्सा इन्हीं देशों का था। 

कौन- कौन आ रहा है सम्मेलन में 

इसमें विश्व के 50 नेताओं के आने की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इनमें नहीं होंगे। क्योंकि उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया है।

जलवायु परिवर्तन का क्या है प्रभाव 

संयुक्त राष्ट्र की तीन अलग-अलग रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, भूस्खलन, सूखा और चक्रवातों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे दुनिया के साढ़े तीन करोड़ लोगों के सामने खाद्य सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है।

क्या है चीन की स्थिति 

चीन कार्बन उत्सर्जन कम करने पर तेजी से जुटा हुआ है। हालांकि ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर की रिपोर्ट बताती है कि चीन ने अपनी कोयला जलाने की क्षमता को बढ़ाया है और अभी उसकी योजना इसे और बढ़ाने की है। इसके साथ ही चीन दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और बांग्लादेश में कोयले से चलने वाले पॉवर प्लांट के लिए आर्थिक सहायता मुहैया करा रहा है।

भारत की स्थिति 

कार्बन उत्सर्जन को लेकर दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर हुई है। पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने की ओर भारत तेजी से बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट के मुताबिक भारत न सिर्फ अपने लक्ष्यों को पाने में कामयाब हो रहा है बल्कि लक्ष्य पाने की दिशा में उसका काम 15 फीसद ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।  


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