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श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में 16 दलों ने महिंदा राजपक्षे को दिया समर्थन, 16 नवंबर को है चुनाव

श्रीलंका के 16 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति चुनाव में श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के उम्मीदवार महिंदा राजपक्षे को समर्थन देने का एलान किया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 05:39 PM (IST)Updated: Fri, 01 Nov 2019 05:56 PM (IST)
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में 16 दलों ने महिंदा राजपक्षे को दिया समर्थन, 16 नवंबर को है चुनाव
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में 16 दलों ने महिंदा राजपक्षे को दिया समर्थन, 16 नवंबर को है चुनाव

 कोलंबो, आइएएनएस। श्रीलंका के 16 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति चुनाव में श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के उम्मीदवार महिंदा राजपक्षे को समर्थन देने का एलान किया है। इन दलों में राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ श्रीलंका और नेशनल कांग्रेस भी शामिल हैं।

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नए गठबंधन का एलान

16 दलों के समर्थन के बाद नए गठबंधन को श्रीलंका पीपुल्स फ्रीडम एलायंस (एसएलपीएफए) नाम दिया गया है। शुक्रवार को नए गठबंधन की घोषणा के साथ राजपक्षे ने चुनाव में अपनी जीत का दावा किया। पिछले चुनाव के मतों का हवाला देते हुए राजपक्षे ने कहा, एसएलपीएफए बनाने में साथ आए 17 दलों के एकजुट होने से हमें करीब 56 प्रतिशत मत मिलना तय है। इससे हमारी जीत सुनिश्चित है। राष्ट्रपति चुनाव में कुल 35 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला देश के पूर्व रक्षा मंत्री गोतबाया राजपक्षे और सत्तारूढ़ यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के उपनेता सजित प्रेमदासा के बीच है। प्रेमदासा नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) के उम्मीदवार हैं।

चुनाव परिणाम 17 नवंबर को

श्रीलंका चुनाव आयोग के अध्यक्ष महिंदा देशप्रिय ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति चुनाव का अंतिम परिणाम मतदान के अगले दिन 17 नवंबर को जारी किया जाएगा।

 गोतबाया ने आर्थिक विकास के लिए वादा 

श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) पार्टी के उम्मीदवार गोतबाया ने कहा कि वह तमिल बहुल क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए वचनबद्ध हैं। राष्ट्रपति उम्मीदवारी तय होने के बाद 29 अक्‍टूबर को गोतबाया की जाफना में यह पहली रैली थी। गोतबाया ने रैली के दौरान अपनी पार्टी के घोषणापत्र का जिक्र करते हुए कहा कि जीत हासिल होने पर वह अन्य दलों का सहयोग लेकर देश में नए संविधान का निर्माण करेंगे।

सैन्य कार्रवाई का किया था नेतृत्व 

2009 में तमिल आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का नेतृत्व गोतबाया ने ही किया था। वह उस समय श्रीलंका के राष्ट्रपति और अपने भाई महिंदा राजपक्षे की अगुआई वाली सरकार में रक्षा मंत्री थे।


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