Blast in Afghanistan: 20 की मौत, तालिबान ने ली हमले की जिम्मेदारी
अफगान के शहर जाबुल में कार बम विस्फोट में 20 लोग मारे गए। घटना की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है। एक दिन पहले ही तालिबान ने धमकी दी थी।
काबुल, एएफपी। दक्षिणी अफगान सिटी जाबुल में गुरुवार को आत्मघाती विस्फोट हुआ जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हैं। इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली है। विस्फोट के कारण कई कार्यालय और मकान को गंभीर नुकसान पहुंचा है। गुरुवार को हुए हमले से जाबुल प्रांत की राजधानी कालत स्थित अस्पताल धराशायी हो गया। बीमार परिजनों से मिलने आए लोगों ने शॉल और कंबल में लपेट कर अपने जख्मी परिजनों को अस्पताल से निकाला।
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के साथ शांति वार्ता के विफल होने के बाद से हर रोज तालिबान ने हमले का नियम बना लिया है। घटना के घंटे भर बाद पीड़ितों की सही संख्या सामने नहीं आई। प्रांत के गर्वनर के प्रवक्ता गुल इस्लाम सेयाल ने मृतकों की संख्या 12 बताई लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मलबे से लोगों के निकाले जाने का काम जारी है। बाद में मरने वालों की संख्या 20 बताई गई। ट्वीटर पर अफगान नेशनल सिक्योरिटी फोर्सेज के एक जवान ने 6 माह के बच्चे की तस्वीर पोस्ट की और बताया कि वे मलबे में उसके माता-पिता को ढूंढ रहे हैं। राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता सेदिक सिद्दकी ने जाबुल में हुए हमले की निंदा की और ट्वीट किया कि तालिबान की ओर से निर्दोषों को निशाना बनाना जारी है जबकि उनके नेता इरान और रूस की यात्रा पर हैं। इससे पहले मंगलवार को यहां दो विस्फोट हुए। इसमें से एक अफगान के राष्ट्रपति गनी के चुनावी रैली पर किया गया था, इसमें 48 लोगों की मौत हो गई। दोनों हमलों के लिए तालिबान ने जिम्मेदारी ली।
बता दें कि यहां होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए शिक्षण संस्थानों को मतदान केंद्र बनाने को लेकर तालिबान ने चेतावनी दी थी। इस माह के बाद यहां राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है।
घटना की जानकारी जाबुल प्रांत के गर्वनर ने दी। अस्पताल के काफी करीब नेशनल डायरेक्टरेट ऑफ सिक्योरिटी (NDS) का कार्यालय स्थित है। हमले की जिम्मेदारी तालिबान ने ली।
बता दें कि बुधवार को अफगानिस्तान के तालिबान समूह ने मतदान केंद्रों पर हमले की धमकी देते हुए शिक्षकों विद्यार्थिंयों व अन्या शिक्षा जगत के कर्मचारियों से आगामी राष्ट्रपति चुनाव को नजरअंदाज करने को कहा। तालिबान की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘चुनाव आयोजकों को अपने स्कूलों को मतदान केंद्र बनाने की अनुमति न दें और शिक्षक या अन्य कर्मी चुनाव स्टाफ का काम न करे।’
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