इजरायल और फिलीस्तीन के बीच भड़की हिंसा पर सुरक्षा परिषद की बैठक, तत्काल रोकने की अपील
इजरायल और फिलीस्तीन के बीच हो रहे हमलों से चिंतित सुरक्षा परिषद की आज बैठक हो रही है। इससे पहले दोनों ही पक्षों को तत्काल हमले रोकने की अपील की है। इन हमलों में कई लोगों की मौत हो चुकी है।
न्यूयॉर्क (संयुक्त राष्ट्र)। अफगानिस्तान और इजरायल के बीच विस्फोटक हो रहे हालातों पर विचार विमर्श के लिए सुरक्षा परिषद की एक मुख्य बैठक हो रही है। इसमें यूएन महासचिव एंटोनियो गुटारेस समेत मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैंड शामिल हैं। इससे पहले परिषद के सभी सदस्यों ने दोनों ही पक्षों से तनाव को कम करने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने एक वक्तव्य में कहा है कि बीते दस दिनों के दौरान फिलीस्तीन और इजरायल के इलाकों में तेजी से हालात बिगड़े हैं। इसकी बड़ी वजह इजरायल द्वारा द्वारा पूर्वी येरूशेलम की शेख जर्राह बस्ती में फिलीस्तीन परिवारों को जबरन बदखल करना बनी है।
उनका ये भी कहना है कि रमजान के दौरान अल अक्सा मस्जिद के आसपास इजरायली फोर्स की तैनाती और हिंसा के बाद नस्लीय नफरत को बढ़ावा मिला जिसकी वजह से हालात और अधिक खराब हुए। दोनों तरफ से हो रही गोलाबारी में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। बाशेलेट का ये भी कहना है कि दोनों ही तरफ से दिए गए भड़काऊ बयानों ने स्थिति को बिगाड़ने में आग में घी की तरह काम किया है। आपको बता दें कि गाजा पूरी तरह से हमास के नियंत्रण में है। यूनिसेफ के मुताबिक इजरायली हमले में बीती रात गाजा में 40 बच्चों की मौत हुई है। मिशेल बाशेलेट का ये भी कहना है कि फिलीस्तीन द्वारा इजरायल में रॉकेट से हमला करना युद्धापराध की श्रेणी में आता है। ये हमले ऐसे इलाकों में किए गए हैं जो घनी आबादी वाले हैं। इसी तरह से इजरायल ने भी गाजा के उन इलाकों में हमला किया है जो घनी आबादी वाला है।
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने अपने बयान में कहा है कि दोनों ही स्तर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना की गई है। इजरायल की ये जिम्मेदारी है कि वो गाजा पट्टी में मानवीय सहायता बेरोकटोक सहायता पहुंचने दे। जो भी इनका उल्लंघन करते हों उनको न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। बाशेलेट ने अपील की है कि इन क्षेत्रों में भड़की हिंसा को रोकने के लिये तत्काल ठोस कार्रवाई की जाए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन की जांच करानी जरूरी है।