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तुर्की ने उत्तरी इराक में कुर्द आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के लिए सेना को किया तैनात

तुर्की ने उत्तरी इराक में कुर्द आतंकवादियों के खिलाफ क्रॉस बॉर्डर ग्राउंड ऑपरेशन के लिए सैनिकों को तैनात किया है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 11:15 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 11:15 AM (IST)
तुर्की ने उत्तरी इराक में कुर्द आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के लिए सेना को किया तैनात
तुर्की ने उत्तरी इराक में कुर्द आतंकवादियों के खिलाफ अभियान के लिए सेना को किया तैनात

अंकारा, एपी। तुर्की ने उत्तरी इराक में कुर्द आतंकवादियों के खिलाफ क्रॉस बॉर्डर ग्राउंड ऑपरेशन  के लिए सैनिकों को तैनात किया है। रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि बुधवार को इराक के हफ्तानिन क्षेत्र में भारी गोलीबारी के बाद हवाई ऑपरेशन लॉन्च किया गया। मंत्रालय ने ट्विटर पर अपने बयान में कहा कि कमांडो फोर्स के ऑपरेशन को अटैक हेलिकॉप्टर, तोप, सशस्त्र और बेहथियार ड्रोन से मदद मिल रही है। हालांकि, इसमें यह जानकारी नहीं दी गई कि इसमें कितने कमांडो शामिल हैं।    

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मंत्रालय ने कहा कि यह ऑपरेशन सीमा क्षेत्र के पास सैन्य चौकियों या ठिकानों पर हमले के बढ़ते प्रयासों के कारण शुरू किया गया है। इसने यह भी कहा कि यह क्षेत्र के अन्य आतंकी समूहों को भी निशाना बनाया है, लेकिन समूहों का नाम नहीं बताया। समाचार एजेंसी एपी के अनुसार मंत्रालय ने कहा कि ऑपरेशन क्लॉ- टाइगर योजना के अनुसार सफलतापूर्वक जारी है। तुर्की नियमित रूप से गैरकानूनी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी या पीकेके के खिलाफ हवाई और जमीनी कार्रवाई करता है, जिसके उत्तरी इराक में ठिकाने हैं। 

बगदाद या उत्तरी इराक से तत्काल टिप्पणी नहीं आई

समाचार एजेंसी एपी के अनुसार बुधवार को हुए हमले से कुछ दिन पहले तुर्की द्वारा क्षेत्र में एक हवाई अभियान शुरू किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर कहा कि इराक के उत्तर में सिंजर सहित कई क्षेत्रों में संदिग्ध पीकेके के 81 संदिग्ध ठिकानों को निशाना बनाया गया। बगदाद या उत्तरी इराक के अर्ध-स्वायत्त कुर्द क्षेत्र से इसे लेकर कोई तत्काल टिप्पणी नहीं आई।

एक दशक से लंबे विद्रोह का नेतृत्व 

पीकेके ने तुर्की के मुख्य रूप से कुर्द दक्षिण-पूर्व क्षेत्र में एक दशक से लंबे विद्रोह का नेतृत्व किया है। इसे तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है। 1984 में संघर्ष शुरू होने के बाद से अब तक इसमें दसियों हज़ार लोगों की जान चली गई।


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