दारफुर: गृहयुद्ध में भूखमरी से बचने के लिए बच्चों ने उठाए हथियार
खास बात यह है कि इसमें बहुत कम उम्र के बच्चे शामिल हैं। उनका दावा है कि इस युद्ध में शामिल बच्चों की संख्या 14 से 17 साल के बीच की है।
खार्तूम [ एजेंसी ]। यमन से 1,200 मील दूर एक 16 वर्षीय हागर शोमो की कहानी यहां चल रहे गृहयुद्ध की दर्दनाक कहानी बयां करती है। शोमो यहां अकेला किशोर नहीं है, जो भूखमरी के कारण सूडानी मिलिशिएन में शामिल हो गया। बल्कि यहां हजारों बच्चे सूडानी मिलिशिएन के साथ लड़ रहे हैं। इतना ही नहीं इस युद्ध में सैकड़ों बच्चों ने अपनी जान भी गवांई है।
यहां चल रही हिंसा की तस्वीर चौंकाने वाली है। इस युद्ध से वापस आए लोगों ने जो बयां किया वह और अधिक चकित करने वाला है। उनका कहना है कि यहां भूखमरी इस कगार पर पहुंच गई है कि कुछ परिवार भूख से बचने के लिए अपने बच्चों को युद्ध की विभिषिका में झोंक दे रहे हैं। इतना ही नहीं वह अपने बच्चों को युद्ध में शामिल होने के मिलिशिया अधिकारियों को रिश्वत दे रहे हैं।
खास बात यह है कि इसमें बहुत कम उम्र के बच्चे शामिल हैं। उनका दावा है कि इस युद्ध में शामिल बच्चों की संख्या 14 से 17 साल के बीच की है। यमन से लौटो पांच सेनानियों ने दावा किया है कि उनके समुह में करीब 20 फीसद बच्चे शामिल थे। वहीं दूसरे सदस्य ने दावा किया कि ऐसे बच्चों की संख्या 40 फीसद से अधिक थी। सूडानी सैनिकों का दावा है कि दारफुर संघर्ष में हजारों लोग फंसे हैं, इनमें बड़ी तादाद बच्चों की हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने यमन में हो रही हिंसा और युद्ध पर चिंता जाहिर किया है। एजेंसी का कहना है कि यमन में हालात बेहद खराब हैं। यहां चल रहे युद्ध के चलते मानवीय संकट गहरा गया है। यहां सक्रिय सहायता समूहों के अनुसार, सउदी और संयुक्त अरब अमीरात में उनके सहयोगियों द्वारा रुक-रुक कर की गई हिंसा में करीब एक करोड़ बीस लाख लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इसमे एक बड़ी तादाद बच्चों की है। यहां करीब 85,000 बच्चों की मौत हो चुकी है।
यमन पर अतिक्रमणकारी सऊदी गठबंधन के हमलों के कारण फैली महामारी और भुखमरी के कारण इस देश में भीषण मानवीय संकट उत्पन्न हो चला है। संयुक्त राष्ट्र के बाल कल्याण कोष यूनिसेफ के अनुसार यमन में जारी संकट की सबसे अधिक मार बच्चों पर पड़ रही है। सऊदी अरब के हमलों के कारण यहाँ महामारी का प्रकोप अपने चरम है तथा करीब दो करोड़ बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है। ज्ञात रहे की यमन पर पिछले तीन साल से आले सऊद के हमलों के कारण इस देश का बुनियादी ढांच ध्वस्त हो चुका है, चिकित्सा प्रणाली दम तोड़ चुकी है अर्थव्यवस्था जर्जर हो गई है तथा देश एक मानवीय त्रासदी का सामना कर रहा है ।