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अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करेगा तालिबान, सैन्य ट्रिब्यूनल किया गया गठित

हथियार के दम पर अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान ने देश में शरिया कानून लागू करने का एलान किया है। इसके लिए तालिबान के सरगना हेबतुल्ला अखुंदजादा के आदेश पर एक सैन्य ट्रिब्यूनल गठित किया गया है।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 07:47 PM (IST)
अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करेगा तालिबान, सैन्य ट्रिब्यूनल किया गया गठित
अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करेगा तालिबान।

 काबुल, एजेंसी। हथियार के दम पर अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान ने देश में शरिया कानून लागू करने का एलान किया है। इसके लिए तालिबान के सरगना हेबतुल्ला अखुंदजादा के आदेश पर एक सैन्य ट्रिब्यूनल गठित किया गया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने तालिबान के उप प्रवक्ता इनामुल्ला सामांगनी की तरफ से जारी बयान के हवाले से बताया है कि ट्रिब्यूनल शरिया प्रणाली, डिक्री व सामाजिक बदलावों को लागू करवाएगा। ओबैदुल्ला निजामी को ट्रिब्यूनल का चेयरमैन व सैयद आगाज व जाहिद अखुंदजादा को डिप्टी चेयरमैन बनाया गया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य ट्रिब्यूनल को सरिया कानून की व्याख्या, इस्लामिक नागरिक कानून के मुताबिक डिक्री जारी करने और खुफिया विभाग, सेना, पुलिस व तालिबान के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत, मुकदमा या याचिका पंजीकृत करने का अधिकार होगा। इस बीच अफगानिस्तान में बढ़ रहे आतंकी हमलों ने तालिबान की शासन क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह धारणा बनने लगी है कि तालिबान अफगानिस्तान की जनता की रक्षा में सक्षम नहीं है। जियोपालिटिका डाट इन्फो में लिखने वाले डी वलेरियो फाबरी कहते हैं कि तालिबान अपनी शासन क्षमता साबित करने की बड़ी परीक्षा से गुजर रहा है। आइएस-खुरासान के बढ़ते हमले तालिबान की अल्पसंख्यों और आम जनता की रक्षा क्षमता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अगर तालिबान इन चुनौतियों से निपटने के लिए कदम नहीं उठाता है, तो अफगानिस्तान में निस्संदेह तौर पर गृह युद्ध होना तय है।

फाबरी के अनुसार तालिबान के शासन समाने चुनौतियां बहुत हैं, लेकिन ऐसा लगता है इनकी गंभीरता का एहसास नहीं है क्योंकि उसका अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्यता हासिल करने के एक मात्र एजेंडे पर ध्यान है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने पश्चिमी वित्तीय संस्थानों पर अफगान सेंट्रल बैंक का धन जारी करने का दबाव बनाया है। संभवत: अब तक, उसको यह एहसास हो गया होगा कि किसी देश पर बल और हिंसा से कब्जा करना उस पर शासन करने की तुलना में आसान है।


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