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तालिबान ने अफगानों के लिए अमेरिकी पुनर्वास कार्यक्रम पर जताई नाराजगी, कहा- ऐसी नीतियों से दूर रहें सभी देश

अमेरिकी सेना के साथ काम करने वाले अफगानों को वीजा देने पर तालिबान ने अमेरिका सरकार की निंदा की है। तालिबान के तरफ से यह प्रतिक्रिया अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के पुनर्वास को लेकर एक बयान के बाद आई है।

By Amit KumarEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 01:46 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 01:46 PM (IST)
तालिबान ने अफगानों के लिए अमेरिकी पुनर्वास कार्यक्रम पर जताई नाराजगी, कहा- ऐसी नीतियों से दूर रहें सभी देश
Taliban displeased with US visa offer to interpreters, other Afghan workers

काबुल, एजेंसियां: अफ्गानिस्तान में दो दशकों तक चले युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना के साथ काम करने वाले अफगानों को वीजा देने पर तालिबान ने अमेरिका सरकार की निंदा की है। बुधवार को एक बयान जारी करते हुए तालिबान ने कहा है कि, अमेरिकी सरकार द्वारा दुभाषियों और अन्य क्षेत्रों में विदेशी सेना के साथ काम करने वाले अफगानों को, अपना देश छोड़ने के लिए वीजा देना और उन्हें प्रोत्साहित करना हमारे देश के मामलों में हस्तक्षेप करने के बराबर है, जिसकी इस्लामिक स्टेट निंदा करता है। तालिबान ने अमेरिका के साथ-साथ अन्य देशों से भी ऐसी नीतियों से दूर रहने का आग्रह किया है।

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तालिबान के तरफ से यह प्रतिक्रिया अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा सोमवार को अफगान नागरिकों के लिए अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम की घोषणा के बाद आई है। अमेरिका अफगानिस्तान से सैन्य वापसी को औपचारिक तौर पर समाप्त करने से अब कुछ ही हफ्तों दूर है। इस बीच ब्लिंकन ने कहा था कि, विदेश विभाग उन अफगानों को फिर से स्थापित करेगा जिन्होंने दो दशकों के युद्ध के दौरान अमेरिका की मदद की है। ब्लिंकन ने अपने एक बयान में साफ कर दिया है कि, अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से वापसी के बाद भी देश के साथ गहराई से जुड़ा रहेगा।

ब्लिंकन के मुताबिक, 2001 के बाद से अमेरिका या अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल के साथ काम करने वाले अफगानों के प्रति उत्पीड़न या प्रतिशोध की आशंका है। जो सेना की वापसी के बाद और बढ़ जाएगी। हम खतरों के बावजूद अफगान प्रवासियों और शरणार्थियों का स्वागत करना जारी रखेंगे। गौरतलब है कि, बीते शुक्रवार को अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों और राजनयिकों की मदद करने वाले 200 अफगानों का पहला समूह ऑपरेशन सहयोगी शरणार्थी के तहत अमेरिका पहुंच चुके हैं।


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