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स्वेज नहर में अब भी फंसा है विशाल जहाज, 25 भारतीय चालकों का दल कर रहा निकालने की कोशिश

बता दें कि एवर गिवेन जहाज एशिया व यूरोप के बीच माल ढुलाई करता है। मंगलवार को यह स्वेज नहर के संकरे रास्ते में फंस गया था। स्वेज नहर में ये विशालकाय जहाज अभी भी फंसा हुआ है। इसको निकालने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 12:34 PM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 12:44 PM (IST)
स्वेज नहर में अब भी फंसा है विशाल जहाज, 25 भारतीय चालकों का दल कर रहा निकालने की कोशिश
दो दिनों से मिस्र की स्वेज नहर में फंसा हुआ है मालवाहक जहाज। (फोटो: रायटर)

स्वेज [मिस्र], एपी। दो दिन पहले मिस्र की स्वेज नहर में फंसा विशालकाय मालवाहक जहाज अब भी वहां फंसा हुआ है। इस विशालकाय जहाज को लगातार निकालने की कोशिशें की जा रही है। इस जहाज के फंसे होने के कारण कई जहाज आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। इस बीच, जानकारी मिली है कि फंसे हुए जहाज को 25 भारतीय चला रहे हैं और उसे निकालकर जलमार्ग का यातायात फिर सुचारू करने के लिए कोशिशें तेज कर दी गई हैं। 

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गौरतलब है कि एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाला, पनामा के झंडे वाला जहाज मंगलवार को ऐतिहासिक स्वेज नहर में फंस गया था। जापानी कंपनी के मालिकाना हक वाले इस जहाज के फंसने से नहर में रास्ता जाम हो गया जिससे दर्जनों छोटे जहाज भूमध्य और लाल सागरों में फंस गए हैं। फंसे हुए जहाज के जापानी मालिक शेइई किसेन कैशा ने बताया कि इसे चलाने वाला चालक दल भारत से आया है और इसके सभी सदस्य सुरक्षित हैं। इस जहाज पर मिस्र के दो विशेषज्ञ चालक भी पहुंचे हैं जो फंसे हुए जहाज को निकालने में मदद कर रहे हैं। क्रैशा ने पूरी घटना के लिए बयान जारी करके माफी मांगी है।

बता दें कि एवर गिवेन जहाज एशिया व यूरोप के बीच माल ढुलाई करता है। मंगलवार को यह स्वेज नहर के संकरे रास्ते में फंस गया था।

हर घंटे 29 अरब रुपये का नुकसान

दुनिया में व्यापार का सबसे बड़ा आधार जलमार्ग है। तीन दिनों से इस जहाज को निकालने की कोशिश की जा रही है लेकिन पीछे से आने वाले जहाजों की लाइन बनती जा रही है। अगर स्थिति यही रही तो आम आदमी की जेब पर भी इसका असर पड़ेगा, संभव है कि जरूरी वस्तुओं का दाम बढ़ेगा। जानकारी हैरानी होगी लेकिन एक अनुमान के अनुसार वैश्विक व्यापार को हर घंटे 29 अरब रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। जहाजों को लंबा रास्ता चुनना पड़ रहा है और उन्हें पांच से छह दिन ज्यादा समय यात्रा में देना पड़ रहा है। 


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