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जेद्दा कब्रिस्‍तान में विस्‍फोट, चार जख्‍मी; मौजूद थे कई राजनयिक

bomb attack at Jeddah cemetery for non Muslims in Saudi Arab प्रथम विश्‍वयुद्ध की समाप्‍ति के मौके पर आयोजित युद्धविराम समारोह में हमला किया गया। अनेकों राजनयिकों को निशाना बनाकर किए गए इस विस्‍फोट में कई लोग घायल हो गए हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 05:25 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 10:05 PM (IST)
जेद्दा कब्रिस्‍तान में बम विस्‍फोट, अनेकों जख्‍मी

जेद्दा, एएफपी।  सऊदी अरब में गैर मुस्‍लिमों के जेद्दा स्‍थित  कब्रिस्‍तान में बुधवार को बम विस्‍फोट हुआ  जिसमें अनेकों लोग जख्‍मी हो गए।  दरअसल, वहां सौ साल पहले प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति की वर्षगांठ मनाने के लिए यूरोपीय राजनयिक मौजूद थे। यह आयोजन फ्रांस के दूतावास की ओर से किया गया था। हमले की जानकारी फ्रांस के विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई है।

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मंत्रालय ने बताया, 'प्रथम विश्‍व युद्ध की समाप्‍ति को याद करते हुए हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जेद्दा स्‍थित गैर मुस्‍लिम कब्रिस्‍तान में आयोजन किया गया था जिसमें अनेकों राजनयिक मौजूद थे। इस बीच आज सुबह आइडी ब्‍लास्‍ट किया गया जिसमें अनेकों लोग घायल हो गए।' इस समारोह में हमले की दूतावासों की ओर से निंदा की गई है।'  पिछले कुछ सप्‍ताह के दौरान जेद्दा में होने वाला यह दूसरा हमला है इससे पहले 29 अक्‍टूबर को फ्रांसीसी कंसुलेट के सिक्‍योरिटी गार्ड पर हमला हुआ था जिसमें सऊदी मूल के ही एक शख्‍स को गिरफ्तार किया गया था। 

दुनियाभर में 11 नवंबर युद्धविराम दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसी दिन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति हुई थी। ब्रिटेन स्थित राष्ट्रमंडल युद्ध समाधि आयोग (सीडब्ल्यूजीसी) ने विश्व युद्धों में जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान में एक सितारे का नाम उनके नाम पर रखकर वैश्विक डिजिटल स्मृति समारोह में शामिल होने का आग्रह किया।  सीडब्ल्यूजीसी के महानिदेशक बरी मर्फी ने कहा कि एक सदी से ज्यादा समय से हम एक ही दिन एक ही समय पर इकट्ठा होते हैं और दो विश्व युद्धों में हमारे लिए अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों के सम्मान में अपने सिर झुकाते हैं। लेकिन इस साल महामारी कोविड-19 के कारण हम एक साथ जमा नहीं हो सकते हैं और इसलिए इस साल स्मृति दिवस पर, हम उन शहीदों की याद में रात में आसमान में सितारों की ओर देखेंगे जिन्होंने अपनी जान दी थी। नवंबर 1918 में युद्ध खत्म होने तक 11 लाख भारतीय कर्मियों को विदेश भेजा गया था। उन्होंने फ्रांस से लेकर आज के इराक, मिस्र से लेकर पूर्वी अफ्रीका और यूनान से लेकर तुर्की में गल्लीपोली तक सेवा दी थी। सीडब्ल्यूजीसी ने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध में भारतीयों के योगदान और बलिदान ने मित्र राष्ट्रों की कामयाबी में अहम भूमिका निभाई थी।

28 जुलाई 1914 को शुरू हुए प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति 11 नवंबर 1918 को हुई थी। इस युद्ध में आधी दुनिया जल कर खाक हो गई थी। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका में लड़ा गया था। जिससे युद्ध में भाग ले रहे कई देशों में कुपोषण, भुखमरी आदि जैसी समस्याओं ने जन्म लिया। इस विश्व युद्ध के कारण रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और उस्मानिया खत्‍म हो गए। आज इस घटना को हुए सौ साल से अधिक का समय पूरा हो गया है। इस युद्ध में 74,000 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहूति दी।


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