Move to Jagran APP

जानें- मध्‍य एशिया में महाशक्तियों का दंगल, बदल गए दोस्‍ती-दुश्‍मनी के समीकरण, भारत का भी लिंक

कुर्दों की अमेरिका के प्रति वफादारी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन सीरिया में कुर्द प्रभुत्‍व वाले इलाकों से अमेरिकी सेना के हटने के साथ यहां समीकरण बदल गए।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 01:09 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 09:09 AM (IST)
जानें- मध्‍य एशिया में महाशक्तियों का दंगल, बदल गए दोस्‍ती-दुश्‍मनी के समीकरण, भारत का भी लिंक

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल । सीरिया में बशीर अल असद सरकार को रूस का समर्थन हासिल है। वहीं  अमेरिका असद का घोर विरोधी रहा है। लेकिन अब सीरिया और तुर्की के हालात बदल चुके हैं। दरअसल, आतंकी संगठन आइएस के खिलाफ जंग में कुर्दों ने हरदम अमेरिका साथ दिया है। कुर्दों की अमेरिका के प्रति वफादारी किसी से छिपी  नहीं है। लेकिन सीरिया में कुर्द प्रभुत्‍व वाले इलाकों से अमेरिकी सेना के हटने के साथ यहां समीकरण बदल गए। अमेरिकी सेना हटते ही तुर्की ने कुर्दों पर हमला तेज कर दिया है। ऐसे में कुर्दों ने भी पाला बदल दिया है। सीरिया में असद सरकार के विरोधी कुर्दो ने समझौता कर लिया है। असद से करार करके कुर्दों ने प्रत्‍यक्ष रूप से रूस के साथ समझौत कर लिया है। अब यह देखना दिलचस्‍प होगा कि अमेरिका का क्‍या स्‍टैंड होता है।

loksabha election banner

कश्‍मीर मसले पर पाकिस्‍तान का साथ दिया

कश्‍मीर मसले पर जब भारत ने अनुच्‍छेद 370 को समाप्‍त किया था तब पाकिस्‍तान का तुर्की का सहारा मिला था। उस वक्‍त भारत के परिप्रक्ष्‍य में वह सुर्खियों में आया था। यह तुर्की का भारत से लिंक है। कश्‍मीर मसले पर मध्‍य एशिया में केवल तुर्की ने पाकिस्‍तान का समर्थन किया था। 

कुर्दिशों के नेतृत्व में सीरिया के असद सरकार से समझौता किया

दो दिन पूर्व कुर्दिशों ने सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्सेज (एसडीएफ) ने सीरिया की बशर अल असद सरकार से करार किया। इस समझौते के तहत सीरिया की संप्रभुता की रक्षा के लिए दोनों पक्ष सहमत हो गए। इस करार के तहत यह तय हुआ है कि देश के उततर-पूर्वी इलाके में तुर्की आक्रमण को विफल किया जाएगा। अमेरिकी सेना हटने के बाद शायद कुर्दों की यह विवशता सामने आई है। यहां एक दिलचस्‍प बात यह है कि अब अमेरिका की क्‍या भूमिका होगी। क्‍या वह रूस के साथ मिलकर कुर्दों की मदद करेगा या फ‍िर अमेरिकी रणनीति में बदलाव होगा।

असद को हासिल है रूस और ईरान का संरक्षण

सीरिया की बशर अल असद सरकार को रूस और ईरान का समर्थन हासिल है। यही वजह है कि असद सरकार गृहयुद्ध के बाद भी अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे हैं। वर्ष 2011 में असद के खिलाफ हुए संघर्ष के बाद भी वह अपनी सत्‍ता बचाने में सफल रहे। अमेरिका ने इस संघर्ष में असद के खिलाफ जंग लड़ने वालों कुर्दों का साथ दिया। लेकिन अमेरिका ने नॉर्थ ईस्ट सीरिया से सैनिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया।

कुर्दों के पास अब तक अमेरिका का संरक्षण हासिल था। लेकिन अमेरिकी सैनिकों की वापसी के कारण उनकी स्थिति कमजोर हुई है। अमेरिकी सैनिकों के हटते ही तुर्की ने कुर्दों पर हमला तेज कर दिया अब वह अपने अस्तित्‍व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस नए समीकरण में कुर्दों ने अपना पाला बदल लिया है। अब वह सीरियाई सरकार से मिल गए हैं।

सीरिया की गोद में बैठे कुर्द, बदल दिया पाला

बदले हालात में कुर्दों ने अब अपना पाला बदल दिया है। कभी उनके जानी दुश्‍मन रहे असद से वह हाथ मिला चुके हैं। ऐसे में अमेरिका की स्थिति असमंजश में है और रूस मध्‍य एशिया में मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। तुर्की से मधुर संबंध के कारण अब वह प्रमुख रोल में आ गया है। यह सऊदी अरब का रूस ने दबाव बना दिया है।

और निकट आए तुर्की और रूस

तुर्की नाटो का सदस्‍य देश है। अमेरिका के बाद नाटो का यह सबसे बड़ा सदस्‍य देश है। कुछ अरसे से तुर्की और अमेरिका के बीच खटास आई है। इसके चलते रूस और तुर्की एक दूसरे से काफी निकट आए हैं। तुर्की और अमेरिका के बीच यह खाई लगाता बढ़ रही है। अमेरिका से खिंचाव ने पुतिन और एर्दोगान को समझौतों और आपसी सहयोग के लिए प्रेरित किया है। तुर्की ने रूस से मिसाइल शील्‍ड की खरीदारी की हैं। अब इस बात की संभावना बन रही है कि रूस और तुर्की और निकट आएंगे। यह अच्‍छा मौका है जब दोनों देशों के बीच बड़ा करार हो सकता है।

 यह भी पढ़ें: एफएटीएफ की बैठक में अलग-थलग पड़ा पाक, नहीं मिला किसी देश का साथ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.