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ईरान का इकलौता परमाणु ऊर्जा संयंत्र आपात स्थिति में बंद, ईरान रूस से कलपुर्जे खरीद में असमर्थ

ईरान के इकलौते परमाणु ऊर्जा संयंत्र को आपात स्थिति में अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है। बुशहर संयंत्र तीन-चार दिन बंद रहेगा। इसकी वजह से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि ईरान ने इस संयंत्र को बंद किया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 01:33 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 01:33 AM (IST)
ईरान का इकलौता परमाणु ऊर्जा संयंत्र आपात स्थिति में बंद, ईरान रूस से कलपुर्जे खरीद में असमर्थ
ईरान का बुशहर परमाणु संयंत्र 2011 में रूस की मदद से शुरू हुआ था

तेहरान, एपी। ईरान के इकलौते परमाणु ऊर्जा संयंत्र को आपात स्थिति में अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है।सरकारी विद्युत ऊर्जा कंपनी के एक अधिकारी घोलामाली राखशानिमेहर ने बताया कि बुशहर संयंत्र को शनिवार को बंद किया गया और यह तीन-चार दिन बंद रहेगा। इसकी वजह से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। ऐसा पहली बार हुआ है कि ईरान ने इस संयंत्र को बंद किया है।

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ईरान का बुशहर परमाणु संयंत्र 2011 में रूस की मदद से शुरू हुआ था

ईरान का यह परमाणु संयंत्र 2011 में रूस की मदद से शुरू हुआ था। मार्च में परमाणु ऊर्जा अधिकारी महमूद जाफरी ने कहा था कि संयंत्र काम करना बंद कर सकता है क्योंकि ईरान इसके लिए रूस से कलपुर्जे खरीद पाने में असमर्थ है।

अमेरिका और ईरान की परमाणु समझौते पर वार्ता में गतिरोध

परमाणु समझौते के सिलसिले में अमेरिका और ईरान की वार्ता में गतिरोध पैदा हो गया है। अमेरिका ने कहा है कि ईरान की कुछ प्रमुख मांगों से वह असहमत है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलीवान ने कहा है कि समझौते में शामिल होने का फैसला ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को लेना है। अमेरिका न्यायोचित तरीके से समझौते में फिर से शामिल होने के लिए तैयार है।

2015 में हुए समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ मसलों को लेकर असहमति है

एबीसी टेलीविजन से बातचीत में सुलीवान ने कहा, 2015 में हुए समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए दोनों पक्षों ने काफी दूरी तय की, लेकिन कुछ मसलों को लेकर असहमति है। ईरान अमेरिकी प्रतिबंधों को पहले हटवाना चाहता है जिसके लिए हम तैयार नहीं है। परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए विएना में अप्रैल से वार्ता चल रही है। इसमें अमेरिका की ओर से ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के अधिकारी वार्ता कर रहे हैं।

अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए थे

इस समझौते में शामिल अन्य देश रूस और चीन हैं। अमेरिका इस समझौते से 2018 में अलग हो गया था और उसने ईरान पर कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते को बेकार बताया था और कहा था कि यह ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने में कामयाब नहीं है। एक सवाल के जवाब में सुलीवान ने कहा, मामले में इब्राहीम रईसी के राष्ट्रपति बनने से कुछ नहीं होगा। इस बाबत अंतिम फैसला सर्वोच्च नेता खामेनेई को लेना है।

इजरायल ने की रईसी को ईरानी राष्ट्रपति चुने जाने की निंदा

इस बीच इजरायल ने कट्टरपंथी न्यायाधीश इब्राहिम रईसी को ईरानी राष्ट्रपति चुने जाने की निंदा की है। साथ ही कहा है कि उनकी सत्ता 'क्रूर जल्लादों का शासन' होगा। उसने वैश्विक बिरादरी से अपील है कि उन्हें ईरान से एक नए परमाणु समझौते पर वार्ता नहीं करनी चाहिए। बता दें कि मानवाधिकारों के हनन के चलते अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे ईरान में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रईसी ने जीत हासिल की है।


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