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इजरायल-यूएई की डील से बौखलाया ईरान, UAE को दी हमले की धमकी

संयुक्त अरब अमीरात इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला खाड़ी अरब देश बन गया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 16 Aug 2020 12:37 PM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 12:37 PM (IST)
इजरायल-यूएई की डील से बौखलाया ईरान, UAE को दी हमले की धमकी
इजरायल-यूएई की डील से बौखलाया ईरान, UAE को दी हमले की धमकी

तेहरान, एएनआइ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों को सामान्य करने के लिए किए गए समझौते पर ईरान की बैखलाहट सामने आई है। ईरान ने इसके लिए यूएई के खिलाफ हमला शुरू करने की धमकी दी है। ईरानी हार्ड-लाइन डेली काहन ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के साथ यूएई ने बड़ा विश्वासघात किया है।

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यूएई और इजराइल के बीच ऐतिहासिक समझौते की घोषणा के बाद ईरान के शक्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड ने शनिवार को चेतावनी देते हुए कहा कि यह कदम यूएई के लिए खतरनाक साबित होगा। यूएई, इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला खाड़ी अरब देश बन गया है और सामान्य संबंध स्थापित करने वाला केवल तीसरा अरब राष्ट्र है।

रूहानी की यूएई को धमकी

ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी यूएई के इय कदम की निंदा की है। उन्होंने चेतावनी दी कि संयुक्त अरब अमीरात ने इजराइल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में समझौता कर एक बड़ी गलती की है। हमें उम्मीद है कि उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा और वे इस गलत राह को छोड़ देंगे।

अमेरिका की मध्यस्थता में समझौता

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से इजरायल और यूएई ने अपने संबंध सामान्य करने के लिए एक करार किया था। इन दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए हुए इस समझौते का संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय यूनियन, फ्रांस और चीन समेत दुनिया के कई देशों ने स्वागत किया था। जबकि ईरान, तुर्की और फलस्तीन ने इसकी तीखी आलोचना की।

अमेरिकी प्रस्ताव खारिज

वहीं, दूसरी तरफ सुरक्षा परिषद ने ईरान पर लगे हथियार प्रतिबंधों की अवधि अनिश्चितकाल तक बढ़ाने के अमेरिकी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में अमेरिका को केवल डोमिनिक गणराज्य का ही समर्थन मिला। चीन और रूस ने जहां इस प्रस्ताव का विरोध किया वहीं जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के अलावा आठ अन्य सदस्य वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव को पारित कराने के लिए कम से कम नौ देशों के समर्थन की आवश्यकता थी।


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