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अमेरिका से तनाव के बीच ईरान ने बैलेस्टिक मिसाइल राद-500 को दिखाया, सुलेमानी को किया समर्पित

अमेरिका के साथ बढ़े तनाव के बीच ईरान ने रविवार को कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल राद-500 को सार्वजनिक किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 11:30 PM (IST)
अमेरिका से तनाव के बीच ईरान ने बैलेस्टिक मिसाइल राद-500 को दिखाया, सुलेमानी को किया समर्पित
अमेरिका से तनाव के बीच ईरान ने बैलेस्टिक मिसाइल राद-500 को दिखाया, सुलेमानी को किया समर्पित

तेहरान, एएफपी। अमेरिका के साथ बढ़े तनाव के बीच ईरान ने रविवार को कम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल राद-500 को सार्वजनिक किया। रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने कहा है कि इस मिसाइल में सेटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने वाला नई पीढ़ी का इंजन लगा है। इस इंजन का नाम जुहैर है जो मिश्र धातु का बना है। पूर्व में बने इस्पात के इंजन से यह हल्का है, इसलिए मिसाइल के तेज गति पकड़ने में आसानी होती है।

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राद-500 की मारक क्षमता 500 किलोमीटर

रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की वेबसाइट में बताया गया कि राद-500 मिसाइल का वजन पूर्व में बनी फतेह-110 मिसाइल से आधा है लेकिन इसकी मारक क्षमता उससे 200 किलोमीटर ज्यादा है। ईरान ने फतेह-110 मिसाइल को 2002 में सार्वजनिक किया था। उस मिसाइल की मारक क्षमता 300 किलोमीटर है। वह जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल है। इस लिहाज से राद-500 की मारक क्षमता 500 किलोमीटर है। रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख मेजर जनरल हुसैन सलामी ने नई मिसाइल पर से पर्दा हटाया। इसे संगठन के पूर्व प्रमुख मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को समर्पित किया गया है। सुलेमानी को बीती तीन जनवरी को बगदाद में अमेरिका ने ड्रोन हमले में मार डाला था।

..लेकिन सेटेलाइट लांच हुआ फेल

ईरान ने रविवार को सेटेलाइट लांच कर उसे कक्षा में स्थापित करने की कोशिश की लेकिन वह विफल रहा। जफर नाम का यह सेटेलाइट सेमनान से छोड़ा गया था। 7,400 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से रॉकेट ने इसे अंतरिक्ष तक पहुंचाया लेकिन कक्षा में स्थापित होने के समय यह जरूरी रफ्तार बरकरार नहीं रख सका और सारी मशक्कत पर पानी फिर गया। ईरान इससे पहले 2009, 2011 और 2012 में सेटेलाइट छोड़ चुका है। लेकिन 2019 में छोड़े गए दो उन्नत सेटेलाइट की लांचिंग विफल रही है।

रविवार को लगातार तीसरा प्रयास विफल हुआ है। सेटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाने और उसे कक्षा में स्थापित करने की प्रक्रिया पर अमेरिका ने चिंता जताई थी। कहा था कि यही तकनीक लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल बनाने में काम आती है जिसके जरिये परमाणु हथियार से हमला किया जाता है।


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