युद्ध के खतरे की आशंका के बीच अमेरिका से बातचीत कर सकता है ईरान, लेकिन है ये शर्त
अमेरिका से युद्ध की आशंका के बीच ईरान ने बातचीत को लेकर अपने दरवाजे खोले हैं। लेकिन इसके लिए उसने शर्त भी लगाई है।
तेहरान [न्यूयॉर्क टाइम्स/स्पूतनिक]। अमेरिका और ईरान के बीच चल रही तनातनी में अब कुछ गिरावट आने की उम्मीद बंधी है। इसकी वजह ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी का वो बयान है जिसमें उन्होंने कहा है कि ईरान-अमेरिका से बातचीत कर सकता है। लेकिन, इसके लिए ईरान ने शर्तें लगाई हैं। रुहानी का कहना है कि यदि अमेरिका उस पर लगाए प्रतिबंधों को खत्म करता है तभी ये बातचीत संभव है। रुहानी के बयान फिलहाल अमेरिका ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन, जिस तरह से ईरान ने शर्तों के साथ बातचीत की बात कही है उससे इस बात की कम ही उम्मीद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनके इस प्रस्ताव पर कोई तवज्जो देंगे। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि उत्तर कोरिया अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों को खत्म करने के लिए अमेरिका से तीन बार विफल वार्ता कर चुका है।
गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा ईरान से हुई परमाणु डील को रद करने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ा है। इस तनाव में ईरान के दो कदमों ने आग में घी डालने का काम किया है। इसमें से एक अमेरिकी ड्रोन को मार गिराना और दूसरा न्यूक्लियर डील से खुद को अलग करना। इन दोनों कदमों पर परमाणु डील से जुड़े देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। इसके बाद भी न्यूक्लियर डील से खुद को अलग करने पर ब्रिटेन अमेरिका से काफी चिढ़ा हुआ है। अमेरिका में मौजूद ब्रिटेन के राजदूत ने तो राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम को कूटनीतिक बर्बरता तक करार दे दिया है। वहीं दूसरी तरफ फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने अमेरिका-ईरान के बीच आए तनाव को कम करने के लिए वार्ता में मध्यस्थ बनने की अपील की है।
इन देशों ने ये भी कहा है कि ज्वाइंट कांप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (the Joint Comprehensive Plan of Action-JCPOA) से जुड़े सभी देशों से वार्ता शुरू करने की अपील की है। इनका कहना है कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए प्रतिबंधों से और डील से बाहर होने की वजह से संकट बढ़ गया है। वहीं ईरान ने भी अमेरिका पर ही पूरा ठीकरा फोड़ दिया है। रुहानी का ताजा बयान भी इसी तरफ इशारा करता है। उनका कहना है कि वह हमेशा से ही बातचीत को तैयार रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि तनाव कम करने की दिशा में अमेरिका के पास में यह बड़ा सुनहरा अवसर है।
रुहानी ने अमेरिका से बातचीत को अमेरिका की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप अपना रणनीतिक धैर्य करार दिया है। आपको यहां पर बता दें कि पिछले वर्ष 8 मई को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ हुई परमाणु डील से हटने का एलान किया था। इसके साथ ही उन्होंने ईरान पर प्रतिबंध भी लगा दिए थे। इस फैसले के करीब एक वर्ष बाद ईरान ने भी इस डील से खुद को बाहर करने का एलान किया। आपको यहां पर बता दें कि अमेरिका-ईरान के बीच हुई इस डील पर फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, रूस, चीन और यूरोपीय संघ ने भी साइन किए थे। बराक ओबामा ने इसको जहां अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था वहीं राष्ट्रपति ट्रंप पे इसको ओबामा की सबसे बड़ी चूक करार दिया था। ट्रंप का कहना था कि इससे अमेरिका को नुकसान हुआ है। वर्तमान की बात करें तो इस डील से खुद को अलग करने के बाद ईरान तय सीमा से अधिक का यूरेनियम परिष्कृत कर चुका है।
जहां तक दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका की बात है तो ईरान ने इस बात को कई बार कहा है कि वह युद्ध की शुरुआत नहीं करेगा, लेकिन अपने बचाव के लिए वह अमेरिका के किसी भी दुस्साहस का जवाब कड़ाई से देगा। ईरानी सेना के कमांडर अब्दुलरहीम मौसवी ने दो दिन पहले ही एक इंटरव्यू में कहा था कि ईरान एग्रेसिव स्टेट नहीं है, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा। ईरान के महर न्यूज से बात करते हुए उन्होंने यहां तक कहा था कि ईरान ने कभी भी किसी से युद्ध की शुरुआत नहीं की है, लेकिन उसको अपनी बचाव का पूरा हक है।