Move to Jagran APP

जानिए कौन है साराह, जिस पर एक देश नहीं, बल्कि पूरे अरब जगत की लगी हैं उम्‍मीदें

अरब जगत में यूएई पहला ऐसा देश बन गया है जिसने मार्स के रहस्‍यों की खोजबीन के लिए सैटेलाइट बनाया और भेजा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 07:56 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 08:23 AM (IST)
जानिए कौन है साराह, जिस पर एक देश नहीं, बल्कि पूरे अरब जगत की लगी हैं उम्‍मीदें
जानिए कौन है साराह, जिस पर एक देश नहीं, बल्कि पूरे अरब जगत की लगी हैं उम्‍मीदें

वाशिंगटन (न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने उम्‍मीद से भी बड़े सपनों को साकार करने के लिए एक लंबी छलांग लगाई है। ये छलांग है मंगल ग्रह की। इससे भी बड़ी बात ये है कि यूएई के इस मिशन मंगल के पीछे कोई पुरुष नहीं, बल्कि एक महिला है। इस महिला का नाम है- साराह अल अमीरी। साराह पर आज न केवल यूएई की उम्‍मीदें लगी हैं, बल्कि पूरे अरब जगत की भी उससे काफी उम्‍मीद है। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि अरब जगत में यूएई पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने मार्स के रहस्‍यों की खोजबीन के लिए सैटेलाइट बनाया और भेजा है। इस सैटेलाइट को होप यानि 'उम्‍मीद' या 'अमल' का नाम दिया गया है। ये उम्‍मीद केवल इस सैटेलाइट या साराह से नहीं है, बल्कि बदलते यूएई से भी है। यूएई के इस ऐतिहासिक अभियान की शुरुआत जापान से तनेगाशिमा अंतरिक्ष सेंटर से हुई है। यहां से इसे एच2-ए नामक रॉकेट के जरिए मंगल ग्रह की तरफ भेजा गया है। 50 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय करके मंगल ग्रह फरवरी 2021 तक मंगल ग्रह पहुंचेगा। यहां पर ये लाल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।

loksabha election banner

इस प्रोजेक्‍ट के साथ अरब जगत की महिलाओं के लिए एक आइकन बनी साराह मिशन मंगल को लीड कर रही हैं। इस मिशन की सबसे खास बात ये भी है कि यूएई जैसे देशों में जहां महिलाओं को अधिकतर पर्दे में रखा जाता है वहां साराह को इतनी बड़ी जिम्‍मेदारी दी गई है। साराह को अब पूरी दुनिया जान चुकी है। साराह ने एक खास इंटरव्‍यू में बताया कि वो इस मिशन को लेकर काफी नर्वस हैं। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि इसमें उनकी और अन्‍य लोगों की छह साल की कड़ी मेहनत लगी हुई है। हालांकि, उन्‍हें इस मिशन से पूरी उम्‍मीद है। उन्‍होंने बताया कि मिशन की नाकामी का कोई सवाल ही नहीं उठता है न ही इसको लेकर वो नर्वस ही हैं। आपको बता दें कि साराह इस मिशन से तब से जुड़ी हैं, जब यूएई के पास अपनी कोई अंतरिक्ष एजेंसी तक नहीं थी। वर्ष 2014 में यूएई ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम की घोषणा की थी।

साराह के अनुसार, इस मिशन से जुड़ी उनकी पूरी टीम ने इसको कामयाब बनाने के लिए हर रोज लगभग 12-12 घंटे तक काम किया है। इस मिशन को पूरा करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन चैलेंज से मिशन की टीम और उनको बहुत कुछ सीखने को भी मिला। साराह ने कहा कि उन्‍हें प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने पर गर्व है।

साराह ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनकी शुरुआत से ही स्‍पेस साइंस में काफी रुचि थी। उन्‍होंने अमेरिकी यूनिवर्सिटी से कंप्‍यूटर साइंस की पढाई की। 2014 में जब यूएई ने अपने स्‍पेस मिशन शुरू करने की घोषणा की तो साराह को इसे लीड करने की जिम्‍मेदारी दी गई। उन्‍होंने बताया कि 150 लोगों की उनकी टीम में अधिकतर महिलाएं ही हैं।

33 वर्ष की साराह इस प्रोजेक्‍ट में डिप्‍टी प्रोजेक्‍ट मैनेजर हैं। ब्रह्मांड में मौजूद एंड्रोमिडा गेलेक्‍सी का फोटो देखते हुए साराह ने कहा कि इसको शब्‍दों में बयां करना मुश्किल है, लेकिन इसको महसूस किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा लगता है कि किसी पेपर पर उम्‍मीद से कुछ बड़ी चीज प्रिंट हो रही है। उनके मुताबिक जब वो कॉलेज में थीं तो मध्‍य एशिया की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई को लेकर बेहद सीमित कम अवसर थे, लेकिन अब यूएई के लोगों के लिए विज्ञान और तकनीक में डिग्री हासिल करने के अलावा नए दरवाजे भी खुल जाएंगे।

ये भी पढ़ें:- 

बौखलाया ड्रैगन: बीते कुछ समय में चीन के दुश्‍मन देशों की लिस्‍ट हुई बड़ी, जानें- क्‍यों खिलाफ हैं देश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.