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संयुक्त राष्ट्र में तालिबान को शामिल करने का फैसला फिलहाल नहीं, म्यांमार सैन्य जुंटा को भी नहीं मिली मंजूरी

संयुक्त राष्ट्र प्रत्यायन समिति ने विश्व निकाय में म्यांमार सैन्य जुंटा के साथ तालिबान की सीट को भी मंजूरी नहीं दी है। खामा प्रेस के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक बुधवार को बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र की समिति ने इस संबंध में फैसले को फिलहाल टाल दिया है।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 03:53 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 03:53 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र में तालिबान को शामिल करने का फैसला फिलहाल नहीं, म्यांमार सैन्य जुंटा को भी नहीं मिली मंजूरी
संयुक्त राष्ट्र में तालिबान को शामिल करने का फैसला फिलहाल नहीं

काबुल, एएनआई: संयुक्त राष्ट्र प्रत्यायन समिति ने विश्व निकाय में म्यांमार सैन्य जुंटा के साथ तालिबान की सीट को भी मंजूरी नहीं दी है। खामा प्रेस के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक, बुधवार को बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र की समिति ने इस संबंध में फैसले को फिलहाल टाल दिया है। इसके पीछे समिति ने अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के साथ म्यांमार में सैन्य सत्ता जुंटा में प्रतिनिधित्व की कमी बताई है। अफगान मीडिया के हवाले से कहा गया है कि, दोनों ही देशों की सीटों को लेकर फैसला लंबे वक्त से टाला जा रहा है।

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संयुक्त राष्ट्र प्रत्यायन समिति के इस फैसले का मतलब है कि अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात और सैन्य जुंटा के प्रतिनिधियों को अभी 193 सदस्यीय विश्व निकाय में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। तालिबान के संयुक्त राष्ट्र उम्मीदवार सोहेल शाहीन ने ट्वीट् कर कहा है कि, अफगानिस्तान के लोगों ने अपनी आजादी के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्हें संयुक्त राष्ट्र में अपना प्रतिनिधि रखने का पूरा अधिकार है। स्वतंत्र अफगानिस्तान देश के लोगों का अधिकार है। इसके लिए उन्होंने कई दशकों तक संघर्ष किया है। देश के लोगों पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।

गौरतलब है कि, तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से देश कई आतंकवादियों के लिए एक आकर्षण का गढ़ बन गया है। अगर तालिबान को एक वैध सरकार के रूप में मान्यता मिल जाती है और उन्हें संयुक्त राष्ट्र में सीट और मंच मिलता है। तो कई मायनों में यह खतरनाक फैसला होगा, क्योंकि अगर ऐसा होता है तो मध्य और दक्षिण एशिया के साथ बाकी दुनिया में तालिबान के तरह ही सत्ता की लालसा रखने वाले आतंकवादी संगठनों के लिए यह मनोबल बढ़ाने वाला फैसला होगा।


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