इजरायल और फिलीस्तीन को लेकर क्यों डरा हुआ है संयुक्त राष्ट्र, जानें इसके पीछे की खास वजह
कोविड-19 के मद्देनजर इजरायल और फिलीस्तीन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता व्यक्त की है। इसमें कहा गया है कि यदि शांति बहाल नहीं की गई तो इसका फायदा चरमपंथी संगठन उठा सकते हैं। लिहाजा हालात बेकाबू भी हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र। मध्य पूर्व में शांति बहाली हमेशा से ही संयुक्त राष्ट्र के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है। खासतौर पर फिलीस्तीन और इजरायल के बीच तो ये बेहद अहम है। दोनों के बीच लंबे समय से चले आ रहे अस्थिरता और विवादों के हल के लिए इन दोनों का बातचीत की मेज पर आना भी बेहद जरूरी समझा जाता रहा है। लेकिन फिलहाल संयुक्त राष्ट्र की परेशानी इससे भी कहीं अधिक बड़ी दिखाई देती है। मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक निकोलाय म्लादैनॉफ ने सुरक्षा परिषद में कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने इजरायल और फिलीस्तीन के लिए हालात गंभीर कर दिए हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि अस्थिरता भरे माहौल में इस महामारी के फलने-फूलने का खतरा भी बढ़ गया है। इसलिये संघर्ष को समाप्त करने के लिये हर विकल्प पर विचार करना होगा। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि शांति स्थापित न होने की सूरत में केवल चरमपंथियों के हाथ मजबूत होंगे।
सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेश द्वारा की गई वैश्विक युद्धविराम की अपील पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने ये भी साफ कर दिया है कि संयुक्त राष्ट्र इजरायल और फिलीस्तीन के बीच पारस्परिक सहयोग बढ़ाने की पैरवी करता रहेगा। उन्होंने इसके लिए दोनों देशों से जोखिम कम करने, लोगों का जीवन बचाने और इसमें आ रही बाधाओं को दूर करने पर भी बल दिया है। उन्होंने कहा कि एहतियाती उपायों के मद्देनजर इजरायल और गाजा में सख्त पाबंदियां लागू की गई हैं। इसके अलावा फिलीस्तीनी क्षेत्र में आपात हालात की अवधि को बढ़ाया गया है। उन्होंने 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद को वर्चुअल तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि इसको रोकने के लिये सुसंगत और समंवित प्रयासों की जरूरत होगी।
म्लादैनॉफ के मुताबिक कोविड-19 के फिर बढ़ने की वजह से जमीनी स्तर पर मानवीय और आर्थिक चुनौतियां और भी ज्यादा गहरा गई हैं। जब यूएन ये दखल दिया है तब मरीजों को गाजा से दूसरे अस्पतालों में ले जा पाना और मानवीय राहत सामग्री को पहुंचाना सम्भव हो सका है। इसके बावजूद फिलीस्तीन प्रशासन अब भी इजरायल के साथ समन्वय रोकने के अपने फैसले पर अडिग है। उन्होंने बेहद स्पष्ट शब्दों में कहा कि यूएन फिलीस्तीनी प्राधिकरण की भूमिका और उनकी जिम्मेदारियों या इजरायली सरकार की जगह नहीं ले सकता है। इस बारे में यूएन की जिम्मेदारियों का बढ़ना सीमित और तयशुदा अवधि के लिये होना चाहिये।
आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी की बदौलत घरेलू कर राजस्व में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। वहीं फिलीस्तीन सरकार ने इजरायल से मिलने वाले राजस्व को नकार दिया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र वित्तीय संकट के समाधानों क लिये मध्यस्थता के लिये तैयार है ताकि तेज गिरावट झेल रही फिलीस्तीन की अर्थव्यवस्था को दोबारा से अपने पांव पर खड़ा किया जा सके। म्लादैनॉफ ने फिलीस्तीनी नेतृत्व से अपील की है कि वो एक बार अपने फैसले पर दोबारा विचार करे और इजरायल से मिल रहे राजस्व को यूं न नकारे। उन्होंने ये भी कहा है कि ये धन फिलीस्तीन की जनता का है और दानदाताओं से मिलने वाली धनराशि इसका स्थान नहीं ले सकती।