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सऊदी अरब के सैन्य अड्डे पर चल रहा बैलेस्टिक मिसाइलों के निर्माण और परीक्षण का काम

विशेषज्ञों और सेटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर दावा किया गया है कि सऊदी अरब के एक सैन्य अड्डे पर बैलेस्टिक मिसाइलों के निर्माण और परीक्षण का काम चल रहा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 27 Jan 2019 12:41 AM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 12:41 AM (IST)
सऊदी अरब के सैन्य अड्डे पर चल रहा बैलेस्टिक मिसाइलों के निर्माण और परीक्षण का काम
सऊदी अरब के सैन्य अड्डे पर चल रहा बैलेस्टिक मिसाइलों के निर्माण और परीक्षण का काम

 दुबई, एपी। विशेषज्ञों और सेटेलाइट से मिली तस्वीरों के आधार पर दावा किया गया है कि सऊदी अरब के एक सैन्य अड्डे पर बैलेस्टिक मिसाइलों के निर्माण और परीक्षण का काम चल रहा है। इन दावों को सच मानने की एक वजह यह भी है कि पिछले साल सऊदी अरब के शक्तिशाली क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था कि अगर ईरान इस तरह के हथियार कार्यक्रम चलाता है तो देश को परमाणु हथियार विकसित करने में हिचक नहीं होगी। खास बात यह है कि इसी तरह हथियार कार्यक्रमों के मिले तथ्यों के आधार पर सऊदी अरब लंबे समय से अपने धुर-विरोधी ईरान की आलोचना करता आ रहा है।

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सबसे पहले वॉशिंगटन पोस्ट ने इन तस्वीरों के बारे अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी। यह जगह सऊदी अरब की राजधानी रियाद से 230 किमी पश्चिम में अल-दवादमी नामक कस्बे के पास स्थित सैन्य अड्डे पर है। हालांकि इस बेस की जानकारी मीडिया में सबसे पहले 2013 में ही सामने आ गई थी।

कैलीफोर्निया में मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के मिसाइल एक्सपर्ट जेफरी लुइस ने कहा कि मिसाइलों पर भारी निवेश से साफ है कि परमाणु हथियार बनाने में सऊदी अरब की रुचि बढ़ रही है। उन्होंने कहा, मुझे इस बात को लेकर चिंता होगी कि हम सऊदी अरब की महत्वाकांक्षाओं को कम आंक रहे हैं। लुइस ने सेटेलाइट से मिली तस्वीरों का अध्ययन करते हुए यह बात कही है। बैलेस्टिक मिसाइलें हजारों किमी दूर तक परमाणु हथियार ले जा सकती हैं।

आखिरी तकनीकी ज्ञान कहां से मिला
वाशिंगटन में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटिजिक स्टडीज में मिसाइल डिफेंस के सीनियर फेलो माइकल एलमैन ने भी सेटेलाइट तस्वीरों की जांच की है। उन्होंने साफ कहा कि मुझे लगता है कि वहां बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर काम हो रहा है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसके लिए उसे तकनीकी ज्ञान कहां से मिला। वहीं, रियाद में अधिकारियों और वॉशिंगटन में सऊदी दूतावास के अधिकारियों ने इस बाबत पूछे जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।


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