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इराक के संसदीय चुनाव में 41 फीसद पड़े वोट, शिया दबदबे वाले सत्ताधारी तबके के उभरने का है अनुमान

वर्ष 2003 में अमेरिकी हमले के बाद इराक में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हुई। उस समय से अभी तक हुए संसदीय चुनावों में इस बार सबसे कम मतदान हुआ है। 2018 में हुए संसदीय चुनाव में 44 फीसद मतदान हुआ था।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 09:49 PM (IST)
इराक के संसदीय चुनाव में 41 फीसद पड़े वोट, शिया दबदबे वाले सत्ताधारी तबके के उभरने का है अनुमान
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने पहले ही कम मतदान का दिया था संकेत

बगदाद, रायटर। इराक में रविवार को हुए संसदीय चुनाव में कम मतदान हुआ। महज 41 फीसद मतदान की खबर है। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने पहले ही कम मतदान का संकेत दिया था। नेताओं और लोकतांत्रिक प्रणाली में भरोसा घटने से लोगों की भागीदारी कम रही।

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वर्ष 2003 में अमेरिकी हमले के बाद इराक में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हुई। उस समय से अभी तक हुए संसदीय चुनावों में इस बार सबसे कम मतदान हुआ है। 2018 में हुए संसदीय चुनाव में 44 फीसद मतदान हुआ था।

चुनावी परिणाम इराक में सत्ता संतुलन में नहीं लाएगा बदलाव

इस बार के चुनाव में शिया दबदबे वाले सत्ताधारी तबके के उभरने का अनुमान है। इस तबके की ज्यादातर पार्टियों के पास सशस्त्र शाखाएं हैं। विदेशी हस्तक्षेप का विरोध करने वाले लोकप्रिय शिया मौलवी मोक्तादा अल-सदर की अगुआई वाले आंदोलन की स्थिति भी अच्छी रहने का अनुमान है। इराकी अधिकारियों, विदेशी राजनयिकों और विश्लेषकों का आकलन है कि चुनावी परिणाम इराक में सत्ता संतुलन में बदलाव नहीं लाएगा।

2003 में इराक पर अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद सद्दाम हुसैन के पतन के बाद से यह छठा चुनाव है।  संसदीय चुनाव को लेकर कई लोगों ने कहा कि चुनाव केवल उन्हीं चेहरों और पार्टियों को वापस लाएगा जो भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं जिन्होंने दशकों से इराक को गर्त में डाला है। समस्याओं ने देश को ढहते बुनियादी ढांचे, बढ़ती गरीबी और बेरोजगारी दर के साथ छोड़ दिया है।

गौरतलब है कि इराक में हजारों लोगों ने महामारी भ्रष्टाचार, खराब सेवा और बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में प्रदर्शन किए थे। प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे। कुछ ही महीने के दौरान 600 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों की संख्या में घायल भी हुए।

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