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कभी भी रिहा किए जा सकते हैं 400 खूंखार तालिबान आतंकी, 16 अगस्त से होगी अफगान शांति वार्ता

तालिबान ने अंतर अफगान वार्ता शुरू करने के लिए 400 खूंखार आतंकियों सहित कुल पांच हजार कैदियों को रिहा किए जाने की शर्त रखी थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Aug 2020 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 10 Aug 2020 08:03 PM (IST)
कभी भी रिहा किए जा सकते हैं 400 खूंखार तालिबान आतंकी, 16 अगस्त से होगी अफगान शांति वार्ता
कभी भी रिहा किए जा सकते हैं 400 खूंखार तालिबान आतंकी, 16 अगस्त से होगी अफगान शांति वार्ता

काबुल, एजेंसी। तालिबान कैदियों के अंतिम समूह को रिहा किए जाने के एक सप्ताह के अंदर अफगानिस्तान सरकार और आतंकी संगठन के बीच शांति वार्ता शुरू हो जाएगी। यह जानकारी अमेरिका के विशेष दूत और अफगानिस्तान सरकार से जुड़े सूत्रों ने दी है। उधर, रविवार को लोया जिरगा द्वारा 400 खूंखार आतंकियों को रिहा करने की सलाह अफगानिस्तान सरकार ने मान ली है। राष्ट्रपति अशरफ गनी जल्द ही कैदियों को रिहा किए जाने वाले फरमान पर हस्ताक्षर कर देंगे।

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कैदियों को रिहा किए जाने के एक सप्ताह के अंदर वार्ता के लिए तैयार: तालिबान

सूत्रों के मुताबिक रविवार से वार्ता शुरू हो जाएगी। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने सोमवार को बताया कि हम कैदियों को रिहा किए जाने के एक सप्ताह के अंदर बातचीत के लिए तैयार हैं। दरअसल, तालिबान कैदियों की रिहाई और अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर इस साल फरवरी में एक समझौता हुआ था। समझौते पर अमेरिका की तरफ से विशेष दूत जालमय खलीलजाद ने दस्तखत किए थे।

खलीलजाद ने तालिबान कैदियों की रिहाई के मुद्दे पर हुई प्रगति का किया स्वागत

खलीलजाद ने तालिबान कैदियों की रिहाई के मुद्दे पर हुई प्रगति का स्वागत किया है। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि अगले कुछ दिनों में हमें कैदियों की रिहाई की उम्मीद है। इसके बाद अफगानिस्तान सरकार की एक टीम दोहा जाएगी और जल्द ही अंतर अफगान वार्ता शुरू हो जाएगी।

तालिबान ने 400 खूंखार आतंकियों सहित कुल पांच हजार कैदियों को रिहा किए जाने की शर्त रखी थी

बता दें कि तालिबान ने अंतर अफगान वार्ता शुरू करने के लिए 400 खूंखार आतंकियों सहित कुल पांच हजार कैदियों को रिहा किए जाने की शर्त रखी थी। हालांकि सरकार खूंखार आतंकियों को रिहा किए जाने से हिचक रही थी, क्योंकि इनमें से कई गंभीर हिंसात्मक घटनाओं में शामिल रहे हैं। ऐसी ही एक घटना 2017 में हुई थी जब काबुल स्थित जर्मनी के दूतावास के पास हुए आत्मघाती हमले में 150 से अधिक लोग मारे गए थे।


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