US on Taiwan: जो बाइडन ने कहा ताइवान की रक्षा करने के लिए सेना का इस्तेमाल भी कर सकता है अमेरिका, जानिए क्या है 1979 ताइवान अधिनियम
जो बाइडन से सवाल पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका ताइवान को सैन्य रूप से मदद करेगा। इसका जवाब बाइडन ने दिया कि हां यही वादा हमने ताइवान से किया है। चीन ने जो बाइडन के बयान के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया की है।
टोक्यो, एपी। रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन को परोक्ष रूप से चेतावनी दी है। जो बाइडन ने जापान की राजधानी टोक्यो में सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अगर चीन ने ताइवान पर आक्रमण किया तो अमेरिका सैन्य रूप से हस्तक्षेप करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद ताइवान की रक्षा करने की प्रतिबद्धता और भी मजबूत हो गई है।
जो बाइडन से सवाल पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका ताइवान को सैन्य रूप से मदद करेगा। इसका जवाब बाइडन ने दिया कि हां, यही वादा हमने ताइवान से किया है। दरअसल जो बाइडन का यह बयान महत्वपूर्ण इस लिए है क्योंकि अमेरिका ने परंपरागत रूप से कभी भी ताइवान को ऐसी स्पष्ट सुरक्षा गारंटी नहीं दी है। चीन ने अगर ताइवान पर आक्रमण किया तो उस समय अमेरिका ताइवान की किस तरह मदद करेगा उसपर अनिश्चितता बनी हुई है।
जानिए क्या है 1979 ताइवान अधिनियम
1979 ताइवान संबंध अधिनियम के मुताबिक चीन द्वारा ताइवान पर आक्रमण करने पर अमेरिका को सैन्य रूप से कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि राष्ट्रपति के इस बयान के बाद व्हाइट हाउस ने कहा कि जो बाइडन का यह बयान, कतई नहीं दर्शाती है कि अमेरिका ने कोई नीतिगत बदलाव किया है। अमेरिकी रक्षा सचिव लायड आस्टिन नें अमेरिका में स्थित पेंटागन में बताया, 'जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी एक चीन नीति नहीं बदली है।'
चीन ने बयान का किया आलोचना
लेकिन बाइडेन का यह बयान चीन को नागवार गुजरी है। चीन ने जो बाइडन के बयान के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया की है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बिडेन की टिप्पणियों पर कड़ा असंतोष और दृढ़ विरोध व्यक्त किया है। चीन के प्रवक्ता ने कहा कि चीन कभी भी अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के मूल हितों से जुड़े मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा, 'चीन अपनी संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए कड़ा कदम उठाएगा और हम जो कहेंगे, वो हम करेंगे।'
जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ बोलते हुए, बिडेन ने कहा कि चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ बल का उपयोग करने का कोई भी प्रयास उचित नहीं होगा। बता दें कि चीन ने हाल के कुछ सालों में लोकतांत्रिक ताइवान के खिलाफ अपने सैन्य उकसावे को तेज कर दिया है, जिसका उद्देश्य उसे कम्युनिस्ट मुख्य भूमि के साथ एकजुट करना है।
अमेरिका कर रहा है ताइवान की मदद
गौरतलब है कि 'एक चीन' नीति के तहत, अमेरिका बीजिंग को चीन की सरकार के रूप में मान्यता देता है और ताइवान के साथ उसके राजनयिक संबंध नहीं हैं। हालांकि, अमेरिका द्वारा ताइवान की राजधानी ताइपे में एक वास्तविक दूतावास सहित अनौपचारिक संपर्क कायम रखा गया है। वहीं, इस द्वीप की रक्षा के लिए अमेरिका सैन्य उपकरणों की आपूर्ति भी करता है।