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जी20 की बैठक का सबसे बड़ा सवाल, क्‍या सुलझेगा चीन-अमेरिकी ट्रेड वार का मसला

जी20 की बैठक में सभी की निगाह चीन और अमेरिका के बीच होने वाली बैठकों पर लगी है। इसमें ट्रेड वार का मुद्दा सबसे अहम है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 03:56 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 08:58 AM (IST)
जी20 की बैठक का सबसे बड़ा सवाल, क्‍या सुलझेगा चीन-अमेरिकी ट्रेड वार का मसला
जी20 की बैठक का सबसे बड़ा सवाल, क्‍या सुलझेगा चीन-अमेरिकी ट्रेड वार का मसला

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। जापान के ओसाका में शुक्रवार-शनिवार को होने वाली जी20 बैठक के लिए मंच पूरी तरह से तैयार है। जी20 सदस्‍य देशों के नेताओं का भी जमावड़ा यहां पर होना शुरू हो गया है। इस बीच सभी देशों की निगाहें अमेरिका और चीन पर लगी हैं। सात माह के बाद पहली बार अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग इस मंच पर मिलने वाले हैं। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच कई महीनों से ट्रेड वार छिड़ा हुआ है। इसके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर यह दोनों देश आमने-सामने हैं। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्‍या इस बैठक में ट्रेड वार का मसला सुलझ जाएगा।

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चीन की सरकारी मीडिया भी जापान के ओसाका में होने वाली बैठक पर कड़ी निगाह रखे हुए है। बैठक से पहले चीन की मीडिया ने ओसाका के स्‍थानीय लोगों से इस सवाल का जवाब पाने की भी कोशिश की है। ग्‍लोबल टाइम्‍स द्वारा इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कुछ लोगों ने माना कि यदि दोनों देशों के बीच ट्रेड वार का मुद्दा सुलझ जाए तो पूरी दुनिया के लिए यह फायदे का सौदा होगा। यह सोच रखने वाले लोग चाहते हैं कि दोनों देशों को यह मुद्दा सुलझाकर विश्‍व की तरक्‍की की तरफ ध्‍यान देना चाहिए।

वहीं कुछ का यह भी कहना है कि एक बार की बैठक में यह मुद्दा सुलझने वाला नहीं है। यह विचार रखने वालों का तर्क है कि इस मुद्दे पर दोनों देश काफी आगे निकल आए हैं और दोनों के ही सुर काफी तीखे हैं। इतना ही नहीं अमेरिका और चीन के बीच सिर्फ ट्रेड वार का ही एक मसला नहीं है बल्कि कई दूसरे भी मुद्दे हैं। लिहाजा महज ट्रेड वार को अलग करके देखना भी सही नहीं है। इन लोगों का कहना है कि दूसरे मुद्दों के साथ यह भी एक मुद्दा है, लेकिन दो दिन में इनका हल निकलना लगभग नामुमकिन है। एक कंपनी के मैनेजर मियाजिमा का कहना था कि अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार की समाप्ति जापान की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अच्‍छी होगी।

दरअसल, यह सवाल इतना बड़ा है कि खुद चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उनकी तरफ से जी20 की बैठक में साझा मुद्दे और साझा फायदे के मुद्दे पर अमेरिका से बात करने को तैयार है। इसके लिए जरूरी है कि दोनों देश एक दूसरे की समस्‍याओं के प्रति संवेदनशील बनें। इस बार की जी20 की बैठक में आठ थीम हैं इसमें ट्रेड एंड इंवेस्‍टमेंट, इनोवेशन, एनवायरमेंट एंड एनर्जी भी शामिल हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि इसमें डब्‍ल्‍यूटीओ में सुधार का भी मुद्दा उठ सकता है। इस बार जी20 बैठक के अध्‍यक्ष और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी भी इस बात कह चुके हैं कि फ्री एंड फेयर ट्रेड का मुद्दा इस बार के लिए बेहद अहम है।

जहां तक जी20 में चीन और अमेरिका के बीच किसी हल की बात है तो यूएस मीडिया का भी मानना है कि ऐसा मुमकिन नहीं है। न्‍यूयार्क टाइम्‍स का इस बारे में कहना है कि फिलहाल दोनों देशों का किसी एक बिंदु पर आना संभव नहीं है। अखबार का कहना है कि जापान का अमेरिका का साथ सैन्‍य समझौता है। इसके तहत अमेरिकी फौज जापान में मौजूद है। वहीं दूसरी तरफ चीन इसका सबसे बड़ा विरोधी है। यह सभी मुद्दे एक दूसरे से अलग होते हुए भी आपस में मिले हुए हैं। अखबार ने जानकारों के हवाले से यहां तक भी लिखा है कि 10-15 वर्षों में चीन अर्थव्‍यवस्‍था के मामले में अमेरिका को पछाड़ देगा।

आपको बता दें कि दिसंबर 2017 में व्‍हाइट हाउस के द्वारा नेशनल सिक्‍योरिटी स्‍ट्रेटेजी जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि अमेरिका एक बार फिर से चीन और रूस के साथ पावर प्रतियोगिता में उलझ सकता है। लेकिन उस वक्‍त अमेरिका इससे निपटने की बजाए ईरान के मामले में उलझ गया और इस मुद्दे को सुलझाने की रणनीति तैयार नहीं कर सका। इतना ही नहीं समय गुजरने के साथ जो नीतियां बनीं उसमें भी ट्रंप के वरिष्‍ठ सलाहकार एकराय कायम नहीं कर सके। जॉन बोल्‍टन और माइक पोंपियो इसको लेकर सख्‍त नीति चाहते थे जबकि दूसरे अधिकारी इसके खिलाफ थे।

जी20 की बैठक को लेकर ऐसा भी माना जा रहा है कि इस बार यह कुछ हंगामेदार हो सकती है। इसके पीछे सिर्फ एक ट्रेड वार का ही मुद्दा नहीं है बल्कि ईरान का भी एक बड़ा मुद्दा इस बैठक के एजेंडे में है। ईरान को लेकर अमेरिका कई बार तीखी बयानबाजी कर चुका है। इतना ही नहीं अमेरिका की तरफ से ईरान पर हमले की बात भी कही जा चुकी है। आपको बता दें कि अमेरिका की ही वजह से चीन और भारत को ईरान से तेल खरीद खत्‍म करनी पड़ी है।

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