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बस कुछ समय और रुकिए फिर होगी आसमान से उल्का पिंड की बारिश, गजब का होगा नजारा!

अंतरिक्ष में होती उल्‍का पिंडों की बारिश भला किसको अपनी तरफ आकर्षित नहीं करती। लेकिन इस दिशा में जापान अब क्रांतिकारी कदम उठाने जा रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 12:19 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 08:33 PM (IST)
बस कुछ समय और रुकिए फिर होगी आसमान से उल्का पिंड की बारिश, गजब का होगा नजारा!
बस कुछ समय और रुकिए फिर होगी आसमान से उल्का पिंड की बारिश, गजब का होगा नजारा!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। क्‍या आपने आसमान में कभी उल्‍का पिंडों की बारिश होते हुए देखी है। यह हमेशा से ही आम आदमी से लेकर वैज्ञानिकों तक को अपनी तरफ आकर्षित करती रही है। आम आदमी की यदि बात करें तो खगौलिए घटनाओं में दिलचस्‍पी रखने वाले लोगों को इस दिन का बेसर्बी से इंतजार रहता है। कई बार तो जानकारी मिलने के बाद पूरी-पूरी रात ऐसे जुनूनी लोग अंतरिक्ष को निहारते गुजार देते हैं लेकिन ज्‍यादा कुछ हाथ नहीं लगता। लेकिन जरा सोचिए यदि इस तरह की खगौलिए घटनाएं आपके मनचाहे तरीके और आपके मनचाहे समय पर हों तो कैसा रहे। सुनकर भले ही ये अजीब लगे लेकिन यह अब सच होने वाला है। दरअसल, जापान इस योजना को आज हकीकत का जामा पहनाने वाला है।

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एएलई ने उठाया जिम्‍मा
दरअसल टोक्यो स्थित एक स्टार्टअप एस्‍‍‍‍‍‍ट्रो लाइव एक्‍सपीरियंस (एएलई) ने कृत्रिम तरीके से उल्का पिंड की बरसात कराने का जिम्मा उठाया है। एएलई दुनिया की पहली शूटिंग स्टार क्रिएशन तकनीक विकसित कर रहा है। इस दिशा में कामयाबी पाने से वह कुछ कदम ही दूर है। इसके तहत पहली माइक्रोसेटेलाइट 17 जनवरी को जापान एयरोस्पस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के एप्सिलॉन-4 रॉकेट से लॉन्च की जाएगी। यह प्रोग्राम अंतरिक्ष में अपनी कार्यक्षमता प्रदर्शित करने के एक अवसर के रूप में बनाया गया है। अपनी योजना के तहत एएलई बाहरी अंतरिक्ष में दो माइक्रोसेटलाइट से शूटिंग स्टार कणों को रिलीज करके कृत्रिम ढंग से उल्का पिंड की बारिश करवाने की योजना बना रहा है। जापान की योजना के तहत अंतरिक्ष से पहली कृत्रिम बारिश अगले वर्ष 2020 में होगी। आपको बता दें कि यह पहल स्काई कैनवास प्रोजेक्ट का हिस्सा है। यह दुनिया का पहला आर्टिफिशियल शूटिंग स्टार प्रोजेक्ट है। इसकी घोषणा मार्च 2016 में की गई थी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि जापान की यह तकनीक केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं होगी बल्कि इस प्रोजेक्ट की कुछ वैज्ञानिक वजह भी हैं। सेटेलाइट से पृथ्वी के ऊपरी वातावरण से घनत्व, हवा की दिशा, संरचना से जुड़े अहम डाटा भी जुटाया जा सकेगा।

बेहद अहम सवाल
हम सभी के लिए यह सवाल बेहद अहम है कि आखिर जापान इसको कैसे अंजाम तक पहुंचाएगा। दरअसल, माइक्रोसेटलाइट से एक सेंटीमीटर के आकार के कण रिलीज होंगे जो कि गैर विषैले पदार्थों से बनें हैं। पिछले कुछ सालों में एएलई ने एक सुरक्षित उल्का बरसात को सुनिश्चित करने के लिए तमाम मैटेरियल परीक्षण किए हैं। यह स्टार कण जब पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करेंगे, तो प्लाज्मा उत्सर्जन प्रक्रिया के जरिये यह जल उठेंगे। इसके बाद धरती पर उल्का पिंडों की बारिश शुरू हो जाएगी। धरती के वातावरण में आने वाले इन कणों की चमक इतनी होगी कि इंसान इन्हें आसानी से देख सकेगा। योजना के मुताबिक इसके लिए हिरोशिमा और सेटो आइलैंड सी के आसपास का क्षेत्र चुना गया है। 200 किलोमीटर तक के क्षेत्र में 60 लाख से अधिक लोग इस नजारे का दीदार कर सकेंगे। उल्‍का पिंडों की यह बरसात पूरी तरह से पूरी तरह से सुरक्षित हो इसके लिए भी टेस्‍ट किए गए हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि जिस तरह से जापान अंतरिक्ष में इस योजना को अंजाम ने रहा है उसी तरह से चीन ने आर्टिफिशियल मून को तैयार किया है।

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