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#KuToo देगा जापान की महिलाओं का साथ, हाई हील्स का कर रही विरोध

जापान में महिलाओं ने ऑफिस ड्रेस कोड के खिलाफ ,KuToo अभियान छेड़ा है। ,KuToo जूता और दर्द का कॉम्बनेशन है। ,MeToo के तर्ज पर जापान में भी ,KuToo अभियान।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 12:48 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 12:48 PM (IST)
#KuToo देगा जापान की महिलाओं का साथ, हाई हील्स का कर रही विरोध
#KuToo देगा जापान की महिलाओं का साथ, हाई हील्स का कर रही विरोध

टोक्यो, एएनआइ। जापान में महिलाओं ने ऑफिस ड्रेस कोड के खिलाफ एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। इस अभियान में महिलाओं के लिए अनिवार्य की गई 'हाई हील्स' का विरोध किया जा रहा है। महिलाओं के विरोध की आवाज उठा रहा इस अभियान का नाम #KuToo है।

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जापान में पुरुषों और कामकाजी महिलाओं दोनों के लिए ही कुछ ड्रेस कोड अनिवार्य हैं। महिलाओं के लिए हाई हील्स पहननी जरूरी है तो पुरुषों को फॉर्मल ड्रेस के साथ क्लीनशेव रहना पड़ता है। बता दें कि भारत में महिलाओं के हक के लिए चालू किए गए हैशटैग #MeToo के तर्ज पर जापान में भी #KuToo अभियान छेड़ा गया है।

#KuToo अभियान जो की महिलाओं के ड्रेसकोड को लेकर चलाए जा रहा है उसे लोगों का काफी समर्थन मिल रहा है। लोग सोशल मीडिया पर ड्रेस कोड में हाई हील्स की अनिवार्यता को पुरानी सामंती मानसिकता का प्रतीक बता रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक #KuToo जूता और दर्द का कॉम्बनेशन है। यह महिलाओं की परेशानी दिखाता है। काफी महिलाओं ने इस हैशटैग के जरिए अपनी आवाज उठाई हैं। महिलाओं का कहना है कि हाई हील्स से एड़ी में दर्द, कमर दर्द जैसी तकलीफों से गुजरना पड़ता है।

कई महिलाओं ने तर्क दिया है कि हाई हील्स पहनने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने इसे महिला विरोधी मानसिकता बताया और कहा कि उनके स्वास्थ्य की अनदेखी की जा रही है। एक अन्य महिला ने जापानी भाषा में ट्वीट किया, कहा, 'असुविधाजनक और हानिकारक जूते पहनना कोई दायित्व नहीं है। चलो एक साथ इस गलतफहमी को दूर करें'।

#KuToo से पहले #MeToo ने मचाया था बवाल
भारत में सोशल मीडिया पर #MeToo मूवमेंट ऐक्ट्रेस तनुश्री दत्ता की तरफ से लगाए गए आरोपों के बाद शुरू हुआ। तनुश्री दत्ता ने आरोप लगाया था कि साल 2008 में शूटिंग के दौरान अभिनेता नाना पाटेकर ने उन्हें गलत तरीके से छूआ। तनुश्री ने कोरियॉग्रफर गणेश आचार्य पर भी नाना का साथ देने का आरोप लगाया और दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

क्या है #MeToo?
यह आंदोलन यौन शोषण का शिकार हुई महिलाओं की मदद के लिए शुरू हुआ। 2006 में अमेरिकी सिविल राइट ऐक्टिविस्ट तराना बर्क ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी। तराना बर्क खुद सेक्शुअल असॉल्ट सर्वाइवर हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बचपन से लेकर बड़े होने तक तीन बार उनका यौन शोषण हो चुका है। मायस्पेस सोशल नेटवर्क में तराना बर्क के इन दो शब्दों ने एक आंदोलन का रूप ले लिया जिसमें यौन शोषण पीड़ितों को इस बात का अहसास दिलाने की कोशिश की गई कि आप अकेली नहीं हैं।


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