जबरन नसबंदी के शिकार पीड़ितों को मुआवजा देगा जापान
1996 तक लागू रहे कानून के तहत कई लोगों की जबरन नसबंदी की गई थी ताकि अक्षम बच्चों के जन्म को रोका जा सके।
टोक्यो, रायटर। जबरदस्ती नसबंदी का शिकार हुए लोगों को जापान सरकार मुआवजा देगी। बुधवार को इससे संबंधित एक नया कानून यहां की संसद ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। 1996 तक लागू रहे कानून के तहत कई लोगों की जबरन नसबंदी की गई थी ताकि अक्षम बच्चों के जन्म को रोका जा सके। सरकार के उस कार्यक्रम का ज्यादातर शिकार दिव्यांग, मानसिक बीमारी व कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति बने थे।
ऐसे पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए लाए गए नए कानून पर प्रधानमंत्री शिंजो एबी ने कहा, 'पहले जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। दिव्यांगों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।' नए मुआवजा कानून के तहत पीडि़तों को 29 हजार डॉलर (करीब 20 लाख रुपये) दिए जाएंगे। पीडि़त पांच साल के भीतर मुआवजे के लिए आवेदन दे सकते हैं।
बता दें कि नसबंदी कानून जापान में 1948 से 1996 के बीच लागू रहा था। उस दौरान करीब 25 हजार लोगों की नसबंदी की गई थी जिनमें से 16,500 लोग इसके लिए तैयार नहीं थे। जापान के अलावा भी कई देशों में इस तरह का कानून लागू था, लेकिन 1970 तक कई देशों ने उसे निरस्त कर दिया था।