1945 के परमाणु हमलों में बची दो इमारतों को अब नेस्तनाबूत करेगा जापान
अमेरिका के परमाणु बम हमले के बाद जापान की इमारतें बच गई थीं अब उनको गिराने की योजना बनाई जा रही है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अमेरिका ने 1945 में जापान के दो शहरों पर हमला करके उनको पूरी तरह से तहस नहस कर दिया था, जापान के इतिहास में ये दिन काले दिन के रुप में याद किया जाता है। इस दौरान वैसे तो पूरा शहर ही तहस नहस हो गया था मगर बमुश्किल कुछ चीजें ही बच गई थीं। इन्हीं बची चीजों में शामिल हैं यहां की दो इमारतें।
1913 में बनी इन दोनों इमारतों को पहली बार सेना के कपड़े बनाने वाली फैक्ट्री के रूप में इस्तेमाल किया गया था, उसके बाद इसे हॉस्टल में तब्दील किया गया, हॉस्टल बनाए जाने के बाद यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यहां रहते थे। परमाणु हमलों के बाद इस बिल्डिंग का इस्तेमाल एक अस्थायी अस्पताल के तौर पर भी किया गया था।
परमाणु हमले में मारे गए 80 हजार लोग, घायल हुए थे 35 हजार
इस परमाणु बम हमलों में करीब 80 हजार लोग मारे गए थे और करीब 35 हजार लोग घायल हुए थे। जिन इमारतों को गिराए जाने की योजना बनाई जा रही है, वो हमले में इसलिए बच गईं थी क्योंकि इनके निर्माण में स्टील का इस्तेमाल किया गया था। बम हमलों में इमारतों की खिड़कियां और दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिन्हें आज भी देखा जा सकता है। ये इमारतें आज जापान सरकार के अधीन हैं और साल 2017 में अधिकारियों ने यह पाया था कि शक्तिशाली भूकंप के झटकों की स्थिति में ये जमींदोज हो सकते हैं। इमारतें अभी खाली हैं और यहां लोगों के जाने पर रोक है। स्थानीय सरकार ने फैसला किया है कि इन्हें साल 2022 तक ध्वस्त कर दिया जाएगा।
पहली बार इस्तेमाल किया गया था परमाणु बम
अमेरिका ने पहली बार जापान के दो शहरों पर परमाणु बम से हमला किया था। परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते इस हमले से कुल 1.40 लाख लोगों की मौत हुई थी। अमेरिका का सोचना था कि एक शहर पर परमाणु बम से हमला होने के बाद वो आत्मसमर्पण कर देगा मगर जापान ने ऐसा नहीं किया। इसके तीन दिन बाद अमेरिका ने जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर फिर से दूसरा परमाणु बम से हमला कर दिया। इस हमले के 6 दिन बाद जापान ने आत्मसमर्पण किया था, इसके बाद दूसरा विश्व युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हुआ था।
कुछ सालों से बंद पड़ा इलाका
कुछ सालों से ये बिल्डिंग बंद पड़ी है मगर स्थानीय लोगों को वहां जाने की इजाजत है, उन पर किसी तरह से रोक नहीं लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मूल्यवान इमारतें हैं जो हमें परमाणु बम की भयावहता को बताती है, पहली बार उन्हें देखने के बाद दृढ़ता से मैंने यह महसूस किया है। शहर का पीस मेमोरियल पार्क परमाणु हमलों का सबसे प्रसिद्ध खंडहर है, इसे यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल किया गया है।
हिरोशिमा में क्या हुआ था
मई 1945 में जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद जापान ने एशिया में युद्ध जारी रखा था, अमरीका ने शांति कायम करने के लिए जापान को अल्टीमेटम दिया था, जिसे उसने खारिज कर दिया था। अमरीका को उम्मीद थी कि परमाणु बम गिराने के बाद जापान तुरंत आत्मसमर्पण कर देगा। इसलिए अमरीका ने पहला बम हमला हिरोशिमा पर किया, जिसमें करीब 80 हजार लोगों की तुरंत मौत हो गई थी। बम धमाकों में इतनी गर्मी थी कि लोग सीधे जल गए थे।
संरक्षित होगी तीसरी इमारत
बताया जाता है कि उस जगह पर एक तीसरी इमारत भी है, जिसे सरकार ने संरक्षित करने का फैसला किया है। इसकी दीवारों और छतों की मरम्मत की जाएगी और भूकंप से बचाने के लिए जरूरी उपाय किए जाएंगे।
ऐतिहासिक महत्व
1945 में जब अमरीका ने जापान पर परमाणु हमला किया था, तब इवाओ नाकानिशी इनमें से एक इमारत में रहा करते थे। 89 साल के नाकानिशी अब उस समूह की अगुवाई कर रहे हैं जो इन इमारतों को बचाने की मांग कर रहा है। इन इमारतों का ऐतिहासिक महत्व है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भावी पीढ़ी को त्रासदी बताने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। हम किसी भी सूरत में इसके विध्वंस को स्वीकार नहीं कर सकते हैं, हम इस फैसले का विरोध करते हैं। नाकानिशी ने कहा कि इमारतों का उपयोग "परमाणु हथियारों के उन्मूलन" को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा सकता है।