जापान के पीएम शिंजो आबे ने किया 'डेटा स्कैंडल', संसद में मांगी माफी
जापान की मौजूदा सरकार का यह बिल एशिया के पूर्व 'इकोनॉमिक पावरहाउस' को फिर से ट्रैक पर लाने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
टोक्यो, एएफपी। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को उस वक्त शर्मिंदिगी का सामना करना पड़ा, जब उनके द्वारा प्रस्तावित एक आर्थिक नीति के समर्थन के पेश किए गए आंकड़ों में बड़ी गड़बड़ी सामने आई। पीएम शिंजो आबे ने संसद के सामने यह स्वीकार किया कि उनके द्वारा बिल के समर्थन में सामने रखे गए आंकड़ों में गलती हुई। उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी।
जापान की मौजूदा सरकार का यह बिल एशिया के पूर्व 'इकोनॉमिक पावरहाउस' को फिर से ट्रैक पर लाने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। उन्होंने तथाकथित 'विवेकाधीन कार्य प्रणाली' का विस्तार करने का प्रस्ताव किया था, जिसके तहत कर्मचारियों को निश्चित रूप से ओवरटाइम घंटों के लिए लाभ मिलता है, भले ही वे वास्तव में कितना काम करते हैं। यह जापान के कुख्यात लंबे समय के कामकाज को कम करने के प्रयासों के साथ-साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में उत्पादकता को बढ़ावा देने के प्रयासों का एक हिस्सा था। लेकिन डेटा घोटाले के बाद शिंजो आबे ने इस बिल को स्क्रैप कर दिया है।
विपक्ष के सांसदों और यूनियनों ने इस शिंजो आबे सरकार के इस बिल की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि नियत ओवरटाइम सीमा के अलावा कर्मचारियों को अतिरिक्त काम के लिए मुआवजा नहीं दिया जाता है। शिंजो आबे ने अपने तर्क का समर्थन करने के लिए श्रम मंत्रालय के डेटा का हवाला देते हुए विवेकाधीन कार्य प्रणाली के तहत उन लोगों के लिए काम के घंटे दिखाए, जो सामान्य कार्य परिस्थितियों वाले कर्मचारियों की तुलना में कम हो सकते हैं।
हालांकि जापानी मीडिया के मुताबिक, विपक्ष ने '45 घंटे प्रतिदिन' के ओवरटाइम दिखाए गए आंकड़ों जैसे विसंगतियों सहित डेटा में दर्जनों विसंगतियों को देखा। जापान में मौजूदा सरकार द्वारा किए गए इस 'डेटा स्कैंडल' की खबरों को राष्ट्रीय अखबारों ने पहले पन्ने पर प्रकाशित किया। इन खबरों में कहा गया कि इस घोटाले से शिंजो आबे के प्रशासन की छवि खराब हुई है। हालांकि शिंजो आबे ने संसद में अपनी गलती को स्वीकार कर लिया है। लेकिन देखना है कि जापान की जनता उन्हें माफी देती है या नहीं।