सुनामी में तबाह हो गया था जापान का परमाणु संयंत्र, यहां ठिकाने लगाएगा रेडियो एक्टिव पानी
1986 में यूक्रेन के चेरनोबिल परमाणु संयंत्र में हुई दुर्घटना के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु हादसा था।
टोक्यो, रायटर। जापान की कंपनी टोक्यो इलेक्टि्रक पावर फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से निकले रेडियो एक्टिव जल को प्रशांत महासागर में बहा सकती है। जापान के पर्यावरण मंत्री योशिएकी हरादा ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मार्च, 2011 में भूकंप के बाद आई सुनामी से फुकुशिमा देईची स्थित परमाणु संयंत्र नष्ट हो गया था। 1986 में यूक्रेन के चेरनोबिल परमाणु संयंत्र में हुई दुर्घटना के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा परमाणु हादसा था।
फुकुशिमा हादसे के बाद इस संयंत्र का संचालन करने वाली टोक्यो इलेक्टि्रक पावर ने संयंत्र के कूलिंग पाइपों में मौजूद दस लाख टन दूषित पानी टैंकों में इकट्ठा किया था। अब कंपनी का कहना है कि उसके पास इस पानी को रखने की जगह नहीं है। जापान सरकार इस मसले पर आखिरी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञों की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
इस बीच मंगलवार को राजधानी टोक्यो में हरादा ने पत्रकारों से कहा, पानी को समुद्र में बहाना ही एकमात्र विकल्प है। सरकार इस पर चर्चा करेगी लेकिन मैंने अपनी राय दे दी है। उन्होंने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि कितनी पानी समुद्र में बहाया जाएगा। यदि रेडियो एक्टिव पानी समुद्र में बहाया जाता है तो जापान को दक्षिण कोरिया समेत कई पड़ोसी देशों के रोष का सामना करना पड़ेगा।
कई परमाणु संयंत्र समुद्र में ही बहाते हैं पानी
तटीय इलाके में स्थित परमाणु संयंत्र आमतौर पर ट्रिटियम युक्त पानी समुद्र में ही बहाते हैं। ट्रिटियम हाइड्रोजन का समस्थानिक है जो अन्य के मुकाबले कम हानिकारक है। टोक्यो इलेक्टि्रक ने पिछले साल स्वीकार किया था कि फुकुशिमा के पानी में ट्रिटियम के अलावा भी कई अन्य हानिकारक तत्व मौजूद हैं।